SC on Waqf Act 2025: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के दो प्रावधानों पर लगाई रोक, जयराम रमेश ने फैसले का किया स्वागत

Aanchal Singh
jairam ramesh
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SC on Waqf Act 2025: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूरे कानून को खारिज करने से इंकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने अधिनियम के दो प्रावधानों पर रोक लगा दी। इस फैसले से कानून में बदलाव करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

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जयराम रमेश ने फैसले का स्वागत किया

बताते चले कि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया और इसे न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों की जीत बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि यह आदेश केवल उन दलों की जीत नहीं है जिन्होंने संसद में कानून का विरोध किया, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट्स प्रस्तुत किए थे।

न्यायालय ने कानून की गलत मंशा को विफल किया

बताते चले कि, जयराम रमेश के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वक्फ अधिनियम के पीछे छिपी गलत मंशा को काफी हद तक विफल करता है। उनका कहना है कि कानून की कुछ धाराओं का उद्देश्य मतदाताओं को भड़काना और धार्मिक विवादों को हवा देना था। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रावधानों पर रोक लगाकर समाज में संतुलन बनाए रखने का संकेत दिया है।

वक्फ कानून के विवादित प्रावधान

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के तहत विवादित प्रावधानों में शामिल था कि किसी वक्फ संपत्ति के विवाद का निपटारा जिला कलेक्टर करेगा। इसके अलावा, अधिनियम में यह शर्त भी थी कि वक्फ बोर्ड का सदस्य वही बन सकता है जिसने पिछले पांच सालों से इस्लाम धर्म का पालन किया हो। सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रावधानों पर रोक लगाई है।

याचिकाओं की संख्या और सुनवाई का महत्व

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ कुल पांच याचिकाएं दायर की गई थी। अदालत ने इन याचिकाओं पर विचार करते हुए कानून के संवैधानिक पक्ष और विवादित प्रावधानों की समीक्षा की। कोर्ट ने साफ किया कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता, लेकिन कुछ प्रावधानों में संशोधन आवश्यक हैं।

कानून में बदलाव और संवैधानिक संतुलन

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह संदेश गया कि संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कानूनों में सुधार किया जाना चाहिए। जयराम रमेश ने कहा कि यह आदेश सभी नागरिकों और लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। अदालत ने विवादित प्रावधानों पर रोक लगाकर धार्मिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है।

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