SCO Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 साल बाद चीन के दौरे पर हैं और SCO (शंघाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से महत्वपूर्ण मुलाकात हुई, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। खास बात यह है कि मोदी और पुतिन के बीच गले मिलने की तस्वीरें सामने आई हैं, जो दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों और आपसी सम्मान को दर्शाती हैं।
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मोदी-पुतिन की दोस्ताना झलक
प्रधानमंत्री मोदी ने खुद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर पुतिन के साथ अपनी तस्वीरें शेयर की हैं। तस्वीरों के साथ पीएम मोदी ने लिखा, “राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर हमेशा खुशी होती है।” ये तस्वीरें ऐसे समय में आई हैं, जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत पर भारी टैरिफ लगा रखा है।पुतिन और मोदी की यह मुलाकात अमेरिका के टैरिफ वॉर के बीच बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो चुका है और इसका मकसद भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकना है। बावजूद इसके भारत ने अमेरिका के दबाव को ठुकराते हुए अपने निर्णय पर कायम रहने का स्पष्ट संकेत दिया है।
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तीन शक्तिशाली नेताओं का मंच
चीन के तियानजिन में हुए SCO शिखर सम्मेलन से पहले मोदी, पुतिन और शी चिनफिंग के एक साथ बैठकर बातचीत करने की तस्वीरें भी सामने आई हैं। यह तस्वीरें वैश्विक राजनीति में तीन बड़े देशों के बीच सहयोग और संवाद को दिखाती हैं।यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक स्तर पर कई विवाद और टकराव चल रहे हैं, खासकर अमेरिका की व्यापार नीतियों को लेकर। इस मुलाकात से यह संकेत मिलता है कि भारत, रूस और चीन त्रिपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
अमेरिका-भारत के बीच टैरिफ विवाद
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी प्रशासन की टीम ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर दबाव बनाया था। हालांकि, भारत ने इस दबाव को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की घोषणा की। इस टैरिफ का उद्देश्य भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकना था, ताकि रूस पर आर्थिक दबाव बनाया जा सके।भारत की यह ठोस प्रतिक्रिया और उसके बाद मोदी-पुतिन की गर्मजोशी भरी मुलाकात, दोनों देशों के रिश्तों की मजबूती को दर्शाती है। साथ ही, यह भी संकेत मिलता है कि भारत अपनी विदेश नीति में स्वायत्त और संतुलित निर्णय ले रहा है।
