Ahmedabad Plane Crash: 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 260 लोगों की मौत हो गई थी। इस दुखद घटना में पायलट-इन-कमांड दिवंगत कैप्टन सुमीत सभरवाल की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे थे। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिसमें पायलट को दोषी ठहराने को गलत बताया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया प्लेन क्रैश की जांच में पायलट को दोषी ठहराने के प्रयासों पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि यह दुर्घटना अत्यंत दुखद है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती नहीं बताई गई है। जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट रूप से कहा, “पायलट के पिता को यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि उनके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है। यह एक त्रासदी है, लेकिन पायलट का इसमें कोई दोष नहीं है।”कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) की जांच का उद्देश्य किसी पर दोष आरोपित करना नहीं है, बल्कि दुर्घटना के कारणों की सही जांच करना है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और DGCA से जवाब मांगा और कहा कि किसी भी प्रकार की गलत रिपोर्टिंग से बचना चाहिए।
पायलट के पिता की याचिका पर सुनवाई
दिवंगत कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनकी याचिका में एक न्यायिक निगरानी पैनल के गठन की मांग की गई थी, ताकि दुर्घटना की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की जा सके। याचिकाकर्ता ने कहा कि वे चाहते हैं कि इस दुर्घटना की जांच अंतरराष्ट्रीय विमान दुर्घटना सम्मेलन के तहत हो, ताकि किसी भी पक्ष को नुकसान न हो।सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर आगे की सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है और सरकार और DGCA को नोटिस जारी किया है।
फॉरेन रिपोर्ट्स पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक और महत्वपूर्ण बिंदु उठाया, जब याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला दिया। रिपोर्ट में भारतीय सूत्रों का संदर्भ था, जिसके आधार पर पायलट की गलती पर सवाल उठाए गए थे। जस्टिस बागची ने इसे “घटिया रिपोर्टिंग” करार देते हुए कहा, “हम विदेशी रिपोर्टों से परेशान नहीं हैं, लेकिन यदि आपके पास कोई समाधान है तो वह विदेशी अदालतों में जाना चाहिए।”
अहमदाबाद एयर इंडिया प्लेन क्रैश की जाँच
यह विमान हादसा 12 जून को हुआ था, जब एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरते ही क्रैश हो गया था। इस दुर्घटना में 260 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें यात्री और क्रू मेंबर्स भी शामिल थे। यह हादसा भारतीय एविएशन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था, और इसकी जांच को लेकर विभिन्न पहलुओं पर विवाद सामने आया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी यह स्पष्ट करती है कि पायलट को बिना ठोस सबूत के दोषी ठहराना उचित नहीं है। इस मामले में अभी भी कई सवाल बाकी हैं, और कोर्ट ने जांच के लिए उचित दिशा-निर्देश दिए हैं। इस दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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