Mahakumbh: महाकुंभ (Mahakumbh) की शुरुआत को अब एक सप्ताह से अधिक समय हो चुका है। 13 जनवरी को शुरू हुए इस आयोजन में रोजाना लाखों श्रद्धालु संगम स्नान के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में शाही स्नान (अमृत स्नान) का विशेष महत्व है और इस दिन नागा साधुओं और उनके अखाड़ों की धूमधाम देखने लायक होती है। पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को हुआ, जब 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। अब, महाकुंभ में दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी को होने वाला है, जो खास रूप से मौनी अमावस्या के दिन पड़ेगा।
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मौनी अमावस्या और दुर्लभ संयोग का महत्व

बताते चले कि, मौनी अमावस्या का दिन महाकुंभ (Mahakumbh) के दूसरे शाही स्नान के लिए विशेष माना जा रहा है। इस दिन को माघी या माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और धार्मिक दृष्टि से इसका खास महत्व है। इस दिन को लेकर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, क्योंकि चंद्रमा, बुध और सूर्य मकर राशि में त्रिवेणी योग बना रहे हैं। यह योग विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है, और इसे पवित्र स्नान और तर्पण के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7.32 बजे शुरू होगी, जो 29 जनवरी की शाम 6.05 बजे तक रहेगी। इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि यह दिन विशेष रूप से साधना, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
मौन व्रत और तर्पण का महत्व

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, मौनी अमावस्या के दिन खासकर पितृ तर्पण करने की धार्मिक मान्यता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है और परिवार को पितृ का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, इस दिन तर्पण और दान करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति मिल सकती है। धार्मिक आस्थाओं के अनुसार, मौन व्रत रखने से वाक सिद्धि भी प्राप्त होती है, यानी व्यक्ति के वचन और कार्यों में विशेष प्रभाव आता है।
महाकुंभ में अमृत स्नान के दौरान धर्मिक उल्लास

महाकुंभ (Mahakumbh) का दूसरा शाही स्नान और मौनी अमावस्या का यह दुर्लभ संयोग धार्मिक आस्थाओं को लेकर विशेष श्रद्धा का स्रोत बन रहा है। इस दिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे, जहां वे गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करेंगे। खासकर नागा साधु, साधक और विभिन्न अखाड़ों के सदस्य इस दिन को एक विशेष अवसर के रूप में मानते हैं, और यह दिन श्रद्धालुओं के लिए अपने पापों से मुक्ति पाने और पुण्य अर्जित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
श्रद्धालुओं में एक नया उत्साह

महाकुंभ (Mahakumbh) के दूसरे शाही स्नान का आयोजन 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होगा, जब विशेष खगोलीय संयोग बन रहे हैं। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पितृ तर्पण और मौन व्रत के साथ विभिन्न पूजा विधियों को ध्यान में रखते हुए इस दिन का आयोजन खास महत्व रखता है। महाकुंभ के इस आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं में एक नया उत्साह देखा जा रहा है, और लाखों लोग इस पुण्य अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं।
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