I Love Mahadev Controversy: अपने बिहार दौरे के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने एक अहम मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। हाल ही में सोशल मीडिया और सड़कों पर ‘I Love Mahadev’ और ‘I Love Muhammad’ जैसे नारों को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, उस पर उन्होंने स्पष्ट और सधा हुआ बयान दिया। शंकराचार्य का कहना है कि यह मुद्दा जनता का ध्यान असली समस्याओं से भटकाने के लिए जानबूझकर खड़ा किया गया है।
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“महादेव पूजा के विषय हैं, प्रेम के नहीं” – शंकराचार्य

बिहटा में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि “मुझे महादेव से प्रेम है” कहना धार्मिक दृष्टिकोण से अनुचित है। उन्होंने कहा कि महादेव हमारे पूज्य देवता हैं, उनसे प्रेम या व्यक्तिगत लगाव जैसी भाषा का इस्तेमाल परंपरागत धर्मशास्त्रों के अनुसार गलत है।
उन्होंने कहा, “भगवान शंकर के लिए प्रेम जैसे शब्द का प्रयोग सम्मान नहीं बल्कि अनादर है। वह पूजा के विषय हैं, भक्ति के विषय हैं, व्यक्तिगत प्रेम के नहीं।”
“I Love Muhammad” पर क्या बोले शंकराचार्य?
जब उनसे ‘I Love Muhammad’ के नारे पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि मोहम्मद पर टिप्पणी करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, क्योंकि वह विषय हिंदू धर्म की परिधि में नहीं आता और उन्होंने उस विषय की गहन जानकारी नहीं होने की बात भी स्वीकारी।
जनता में भ्रम फैलाने का आरोप
शंकराचार्य ने कहा कि इस तरह के नारे और विवाद जनता को असल मुद्दों से भटकाने का साधन बन गए हैं। उन्होंने इशारा किया कि यह सबकुछ एक पूर्व-निर्धारित रणनीति के तहत हो रहा है, जिससे लोग भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दों पर ध्यान न दें और धार्मिक बहसों में उलझे रहें।
सोशल मीडिया पर गहराया विवाद
हाल ही में सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थलों पर ‘I Love Muhammad’ स्लोगन को लेकर विवाद गहराया। इसके जवाब में कुछ हिंदू संगठनों ने ‘I Love Mahadev’ के पोस्टर और नारे शुरू किए।
जहां कुछ लोग इन नारों को भक्ति और आस्था का प्रतीक मानते हैं, वहीं कई लोग इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ और समाज को बांटने का माध्यम बता रहे हैं। शंकराचार्य ने इस पूरी स्थिति पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि “धर्म का स्थान राजनीति के मंच पर नहीं है। धर्म आत्मा के उन्नयन का माध्यम है, न कि प्रदर्शन का साधन।”
भक्ति में दिखावा नहीं, आस्था में मर्यादा ज़रूरी – शंकराचार्य
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि धार्मिक नारों और प्रतीकों का प्रयोग सोच-समझकर और धार्मिक मर्यादा के भीतर किया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे सच्चे धार्मिक मूल्यों को समझें और किसी भी प्रकार की उकसाने वाली गतिविधियों से बचें।
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