Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का हर दिन देवी दुर्गा के एक विशेष स्वरूप को समर्पित होता है। इन नौ दिनों में साधक मां के अलग-अलग रूपों की उपासना कर शक्ति, समृद्धि, और सुख-शांति की कामना करता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर 2025 से हो चुका है।
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई, और अब 23 सितंबर को नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक आराधना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को तप, त्याग, संयम और ज्ञान की देवी माना जाता है। इनकी पूजा साधक को मानसिक शांति, आत्मबल और विवेक प्रदान करती है। इनके पूजन से व्यक्ति का ध्यान केंद्रित होता है और जीवन में स्थिरता आती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का मुहूर्त

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:54 से 05:41 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:08 से 12:56 बजे तक
सायाह्न संध्या मुहूर्त: शाम 06:35 से 07:46 बजे तक
इनमें से कोई भी मुहूर्त चुनकर श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी की पूजा करें।
मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय वस्तुएं
पुष्प (फूल): चमेली
रंग: सफेद और पीला
मिठाई: दूध से बनी मिठाइयाँ (जैसे बर्फी, रसगुल्ला आदि)
फल: केला, सेब और संतरा
इन वस्तुओं को पूजा में शामिल कर आप मां को प्रसन्न कर सकते हैं।
पूजा विधि: ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
प्रातःकाल स्नान आदि के बाद स्वच्छ सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल पर मां दुर्गा के साथ मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
हाथ में जल या अक्षत लेकर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें।
मां को फूल, फल, मिठाई, वस्त्र, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
दीपक, धूप और घी का दीप जलाएं।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें और व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
अंत में मां की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
मां ब्रह्मचारिणी के प्रभावशाली मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इन मंत्रों का जाप साधक के मन को शुद्ध करता है और साधना में सफलता प्रदान करता है।

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