Shashank Singh crying:आईपीएल 2025 का फाइनल मुकाबला अहमदाबाद में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और पंजाब किंग्स के बीच खेला गया। विराट कोहली की टीम ने आखिरकार 18 साल के लंबे इंतजार के बाद खिताब जीत लिया। पूरे देश में विराट की भावनाओं और आंसुओं की चर्चा रही। लेकिन इस विराट जीत के शोर में एक खिलाड़ी की जुझारू पारी कहीं गुम हो गई – और वो थे शशांक सिंह।
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हारते हुए मैच में दिखाई असली जंग
शशांक सिंह ने फाइनल में ऐसी बल्लेबाजी की, जिसने हर क्रिकेट प्रेमी का दिल जीत लिया। उन्होंने 30 गेंदों पर नाबाद 61 रन बनाए और अंतिम ओवर तक मुकाबले को रोमांचक बनाए रखा। जब पंजाब की टीम लड़खड़ा रही थी और जीत की उम्मीदें खत्म होती दिख रही थीं, तब शशांक ने अपने बल्ले से जज्बा दिखाया।शशांक की पारी में दम था, जुनून था और एक उम्मीद थी जो उन्होंने आखिरी गेंद तक जिंदा रखी। यदि उन्हें एक और गेंद खेलने का मौका मिल जाता, तो शायद मुकाबले का नतीजा कुछ और होता।
हेजलवुड पर टूट पड़े शशांक
जब पंजाब को जीत के लिए बहुत ज़्यादा रन चाहिए थे, तब शशांक सिंह ने जोश हेजलवुड की गेंदों पर करारा प्रहार किया। एक ही ओवर में उन्होंने 22 रन बटोर लिए। इस तूफानी बल्लेबाजी ने आरसीबी के खेमे में तनाव बढ़ा दिया था। आखिरी ओवर तक मुकाबला खुला रहा, और पंजाब जीत के बेहद करीब पहुंच गई।
‘वन मैन आर्मी’ की तरह लड़ा शशांक
कहते हैं असली योद्धा वो होता है जो हार की कगार पर भी उम्मीद नहीं छोड़ता। शशांक ने भी कुछ ऐसा ही किया। उनकी पारी ने यह साफ कर दिया कि क्रिकेट में नतीजे से कहीं ज्यादा अहम होती है जज्बे की कहानी। उन्होंने ना सिर्फ स्कोरबोर्ड पर रन बनाए बल्कि दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ली।
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विराट के आंसू चर्चा में, लेकिन शशांक का संघर्ष भी कम नहीं
विराट कोहली की मेहनत, उनका भावनात्मक क्षण और उनकी कप्तानी बेशक तारीफ के काबिल रही। लेकिन शशांक सिंह का वो अकेले मैदान पर डटे रहना, टीम को अंत तक खींचना, और जीत की उम्मीद बनाए रखना – इस संघर्ष की भी चर्चा होनी चाहिए।वो चुपचाप रोए, किसी ने नहीं देखा, लेकिन वो अपने प्रदर्शन से यह बता गए कि कभी-कभी नायक वो होता है जो ट्रॉफी ना सही, पर दिल जीत लेता है।

