Shastra Puja 2025: दशहरे पर क्यों की जाती है शस्त्र पूजा? जानें मुहूर्त और विधि

Nivedita Kasaudhan
Shastra Puja
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Shastra Puja 2025: सनातन धर्म में दशहरा पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस साल दशहरा 2 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है।

इस दिन जहां एक ओर भगवान राम द्वारा रावण के वध की याद में रावण दहन होता है। वहीं दूसरी ओर शस्त्र पूजन की भी पंरपरा निभाई जाती है, शस्त्र पूजा का यह विधान न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे इतिहास और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐसे में हम आपको शस्त्र पूजा का महत्व और विधि के बारे में बता रहे हैं।

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शस्त्र पूजा क्यों की जाती है?

Shastra Puja
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, तो देवताओं ने उन्हें अनेक दिव्य शस्त्र दिए थे। महिषासुर पर विजय प्राप्त करने के बाद उन सभी दिव्य अस्त्रों की विशेष पूजा की गई। दूसरी ओर, भगवान श्रीराम ने भी दशमी के दिन रावण का वध किया था। यह विजय शस्त्रों और रणनीति के उचित प्रयोग का परिणाम थी। तभी से यह दिन शक्ति, विजय और धर्म की रक्षा का प्रतीक बन गया और इस दिन शस्त्रों की पूजा की परंपरा आरंभ हुई।

वर्तमान समय में भी यह परंपरा जीवित है। सेना, पुलिस, किसान, व्यापारी, कारीगर, वाहन चालक, और हथियार रखने वाले लोग इस दिन अपने-अपने औजार, मशीनें, वाहन और अस्त्र-शस्त्र की विधिवत पूजा करते हैं। यह पूजा उस शक्ति का सम्मान है, जो हमारी रक्षा और आजीविका का माध्यम बनती है।

शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि की शुरुआत 1 अक्टूबर 2025 को शाम 7:01 बजे से होगी और यह तिथि 2 अक्टूबर को शाम 7:10 बजे समाप्त होगी। दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन शस्त्र पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। इस समय पर किया गया पूजन विशेष फलदायी और शुभ मानी जाती है।

शस्त्र पूजन की विधि

दशहरा के दिन सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें। वहां लाल कपड़ा बिछाएं और अपने शस्त्र, औजार, वाहन की चाबियां या मशीनें रखें। इन पर गंगाजल छिड़कें और रोली-कुमकुम से तिलक करें। एक दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। भगवान राम या देवी दुर्गा का स्मरण करें और मिठाई या फल का भोग लगाएं। अंत में यह भोग परिवारजनों और आस-पास के लोगों में प्रसाद रूप में वितरित करें।

शक्ति और आस्था का पर्व

शस्त्र पूजा केवल शस्त्रों की भौतिक पूजा नहीं, बल्कि धर्म की रक्षा, शक्ति का संतुलन और कर्म के उपकरणों का सम्मान करने का प्रतीक है। दशहरा हमें यह सिखाता है कि जब हम धर्म के मार्ग पर चलकर अपने शस्त्रों का सदुपयोग करते हैं, तो विजय निश्चित होती है।

Dussehra 2025
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

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