Shivraj Singh Chouhan: मामा के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में बहुत ही जनता के बीच अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। भले ही वर्तमान में वो सीएम न हो, लेकिन आज भी जनता उन्हें उतना ही चाहती जितना जब वो सीएम पद पर थे। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के रहने वाले शिवराज सिंह चौहान का सफर पहले नमक के बोरों पर चढ़कर भाषम देने से शुरु हुआ था, लेकिन आज वो लाकों की भीड़ में खड़े होकर जनता को संबोधित करते है। यही वजह है कि वो भाजपा के सीएम पद की सबसे लंबे दौड़ में शामिल रहे।
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शिवराज सिंह चौहान को राजनीति में कौन से पद पर हिस्सा मिलेगा?

मध्यप्रदेश में नए सीएम बनने के बाद से अब ये अटकलें तेज हो गई कि अब पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान राजनीति में कौन से पद पर हिस्सा मिलेगा? शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष डेपी नड्डा से मुलाकात की। जिसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा साफ कहा कि वह केंद्र और राज्य की राजनीति करते रहेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता के नाते मेरे लिए पार्टी जो भी भूमिका तय करेगी, वह काम मैं करूंगा। जब पूछा गया कि क्या केंद्र की राजनीति करेंगे? इस पर शिवराज ने कहा कि हम राज्य में रहेंगे और केंद्र में भी। मैं अपने बारे में नहीं सोचता। जो अपने बारे में सोचता है, वह अच्छा इंसान नहीं होता। विकसित भारत संकल्प यात्रा में जो भी भूमिका पार्टी तय करेगी, वह काम करूंगा। अगर आप एक बड़े मिशन के लिए काम करते हो तो पार्टी ही तय करती है कि आप क्या काम करेंगे।
मैं दक्षिण के राज्यों में जाऊंगा
मीडिया ने बातचीत के दौरान शिवाराज सिंह चौहान से कई सवाल पूछे भविष्य में क्या करेंगे, इससे जुड़े हर प्रश्न पर उनका सीधा जवाब था कि जो पार्टी तय करेगी, वह करूंगा। विकसित भारत संकल्प यात्रा में क्या भूमिका रहेगी, इस पर शिवराज बोले कि जो पार्टी तय करेगी, वह निभाएंगे। अभी कुछ जगहों पर मुझे जाने को कहा गया है। मैं दक्षिण के राज्यों में जाऊंगा। इस पर उनसे पूछा गया कि क्या दक्षिण के राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है? शिवराज बोले- कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है।
जानें कार्यकाल
शिवराज सिंह चौहान नवंबर 2005 से दिसंबर 2018 और मार्च 2020 से दिसंबर 2023 तक दो कार्यकाल के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में भाजपा 2018 के विधानसभा चुनावों में हार गई, लेकिन फिर 2020 में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद सत्ता हासिल कर ली।
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