Shubhanshu Shukla Axiom 4: अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान, शुभांशु शुक्ला सहित चारों एस्ट्रोनॉट्स पहुंचे ISS

Aanchal Singh
Shubhanshu Shukla
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Shubhanshu Shukla Axiom 4: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में देश का नाम रोशन करते हुए एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में प्रवेश कर लिया है। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल की डॉकिंग प्रक्रिया 26 जून 2025 को भारतीय समय अनुसार शाम 4:05 बजे पूरी हुई। शुभांशु सहित चारों अंतरिक्ष यात्री अब ISS में 14 दिन बिताएंगे। इस ऐतिहासिक क्षण ने भारत को एक नई अंतरिक्ष उपलब्धि दिलाई है।

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ड्रैगन कैप्सूल से 28.5 घंटे की यात्रा के बाद हुई डॉकिंग

फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से 25 जून को दोपहर 12:01 बजे स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने उड़ान भरी थी। लगभग 28.5 घंटे की यात्रा के बाद ड्रैगन कैप्सूल ने ISS से सफलतापूर्वक डॉकिंग की। इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री 14 दिनों तक विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग और अनुसंधान कार्यों को अंजाम देंगे। शुभांशु शुक्ला इस मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं।

शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी पर अपना पहला संदेश भेजा

अंतरिक्ष में पहुंचने के कुछ घंटों बाद शुभांशु शुक्ला ने पृथ्वी पर अपना पहला संदेश भेजा। उन्होंने कहा, “वाह… अद्भुत सफर था। सच कहूं तो जब मैं लॉन्चपैड पर कैप्सूल ग्रेस में बैठा था तो मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था—चलो बस चलते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यह यात्रा सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।

भावुक हुए परिजन, गर्व से भरा परिवार

शुभांशु की सफलता पर उनके परिवार की प्रतिक्रिया बेहद भावुक रही। उनकी मां डॉकिंग का लाइव प्रसारण देखकर रो पड़ीं। पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा, “हमें बहुत खुशी है। सफल डॉकिंग के लिए हम भगवान का धन्यवाद करते हैं। हमें अपने बेटे पर गर्व है।” उनकी बहन शुचि मिश्रा ने कहा, “यह सिर्फ हमारे लिए नहीं, पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। मैं प्रार्थना करती हूं कि यह चरण सुरक्षित रूप से पूरा हो।”

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी बधाई

इस सफलता पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बधाई देते हुए कहा, “बधाई हो… एक्सिओम-4 डॉकिंग सफल रही। शुभांशु अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के भीतर कदम रखने के लिए तैयार हैं। पूरी दुनिया उनकी इस यात्रा को उत्साह और उम्मीद के साथ देख रही है।” भारत में यह मिशन वैज्ञानिक समुदाय और आम नागरिकों के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आया है।

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