Shubhanshu Shukla Return:भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जल्द ही अंतरिक्ष से पृथ्वी पर वापसी करने जा रहे हैं। वे और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय साथी 14 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से रवाना होंगे और 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटने की संभावना है। उनकी लैंडिंग कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में हो सकती है।यह मिशन एक्सिओम स्पेस के एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा है, जिसमें शुभांशु के साथ पोलैंड के स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी के टिबोर कापू और अमेरिका की अंतरिक्ष यात्री तथा मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन शामिल हैं। ये सभी 26 जून को आईएसएस पहुंचे थे।
पृथ्वी पर लौटने के बाद जरूरी होगी पुनर्वास प्रक्रिया
पृथ्वी पर लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला को एक सप्ताह तक पुनर्वास (Rehabilitation) प्रक्रिया में रहना होगा। यह चरण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने के कारण शरीर का गुरुत्वाकर्षण के प्रति संतुलन बदल जाता है। माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) के कारण मांसपेशियों की शक्ति और हड्डियों की संरचना पर असर पड़ता है, जिससे पुनः पृथ्वी के वातावरण में ढलने के लिए विशेष देखभाल और चिकित्सकीय निगरानी की जरूरत होती है।इस दौरान शुभांशु एक विशेष रिहैबिलिटेशन सेंटर में रहेंगे जहां फ्लाइट सर्जन और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी करेगी। उन्हें पृथ्वी के गुरुत्वीय दबाव के अनुसार धीरे-धीरे सामान्य गतिविधियों में शामिल किया जाएगा।
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अंतरिक्ष में किए गए प्रयोग और वैज्ञानिक कार्य
अंतरिक्ष में अपने प्रवास के दौरान, शुभांशु और उनके साथियों ने कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। ये प्रयोग मुख्य रूप से माइक्रोग्रैविटी में शरीर की प्रतिक्रिया, जैविक नमूनों पर प्रभाव, अंतरिक्ष में खाद्य प्रबंधन, तकनीकी परीक्षण और भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी से संबंधित थे।एक्सिओम-4 मिशन का उद्देश्य केवल अनुसंधान ही नहीं, बल्कि निजी अंतरिक्ष यात्राओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ावा देना है। शुभांशु जैसे अंतरिक्ष यात्री भारत की ओर से वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी को दर्शाते हैं।
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भारत के लिए गर्व का क्षण
शुभांशु शुक्ला की इस यात्रा ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं और वैश्विक सहयोग की दिशा में एक मजबूत कदम है। उनके सुरक्षित लौटने के बाद, भारत में विज्ञान और अंतरिक्ष अध्ययन से जुड़े छात्रों और शोधकर्ताओं को इससे नई प्रेरणा मिलेगी।

