Shubman Gill Century : मैनचेस्टर टेस्ट के चौथे दिन भारत ने शुरुआती झटकों से उबरते हुए मैच को बचाने की पूरी कोशिश की। कप्तान शुभमन गिल और केएल राहुल ने जिम्मेदारी से बल्लेबाज़ी करते हुए भारतीय पारी को संभाला। दिन के खेल के अंत तक गिल 78 और राहुल 87 रन बनाकर नाबाद थे। यह साझेदारी भारत की उम्मीदों का केंद्र बन गई थी।
पांचवें दिन की शुरुआत और राहुल का आउट होना
पांचवें दिन जब खेल शुरू हुआ, तो सभी निगाहें राहुल और गिल पर थीं। लेकिन राहुल 90 रनों की जुझारू पारी के बाद बेन स्टोक्स की गेंद पर आउट हो गए। इसके बाद भी गिल डटे रहे। उन्होंने परिस्थितियों का डटकर सामना किया, खासकर जब स्टोक्स की एक गेंद उनके हाथ और हेलमेट पर लग गई। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
228 गेंदों में पूरा किया शतक
शुभमन गिल ने बेहतरीन संयम और तकनीक का प्रदर्शन करते हुए 228 गेंदों में अपना शतक पूरा किया। यह इस सीरीज़ में उनका चौथा शतक है। इससे पहले वह 147, 161 और 269 रनों की शानदार पारियां खेल चुके हैं। उनकी इस लाजवाब बल्लेबाज़ी ने भारत को मुकाबले में बनाए रखा है।
700 रन का आंकड़ा पार कर रचा इतिहास
गिल ने इस शतक के साथ एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की। 81 रन के आंकड़े को पार करते ही वह एक टेस्ट सीरीज़ में 700 रन बनाने वाले पहले भारतीय कप्तान बन गए। उन्होंने यह कारनामा विदेशी जमीन पर किया, जिससे उनकी यह उपलब्धि और खास बन गई।
महान खिलाड़ियों की सूची में शामिल हुए गिल
शुभमन गिल अब उस विशिष्ट सूची में शामिल हो गए हैं जिसमें सर डॉन ब्रैडमैन (दो बार), सर गारफील्ड सोबर्स, ग्रेग चैपल, सुनील गावस्कर (दो बार), और ग्रीम स्मिथ जैसे दिग्गज शामिल हैं। यह सूची एक टेस्ट सीरीज़ में 700+ रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों की है।
गिल तीसरे भारतीय बने
गिल अब सुनील गावस्कर और यशस्वी जायसवाल के बाद ऐसे तीसरे भारतीय बन गए हैं जिन्होंने घरेलू और विदेशी दोनों ज़मीनों पर 700 से ज़्यादा रन बनाए हैं। यह उपलब्धि उनके निरंतर प्रदर्शन का प्रमाण है।
भारतीय बल्लेबाज़ों द्वारा टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक रन
774 रन: सुनील गावस्कर बनाम वेस्टइंडीज, 1971 (विदेश में)
732 रन: सुनील गावस्कर बनाम वेस्टइंडीज, 1978/79 (घरेलू में)
712 रन: यशस्वी जायसवाल बनाम इंग्लैंड, 2024 (घरेलू में)
719 रन:* शुभमन गिल बनाम इंग्लैंड, 2025 (विदेश में)
शुभमन गिल की यह पारी सिर्फ एक शतक नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट इतिहास में दर्ज होने वाला लम्हा बन गया है। उनके रिकॉर्ड और जुझारूपन ने यह साबित कर दिया कि वह नेतृत्व के साथ-साथ बल्ले से भी कमाल कर सकते हैं। भारत को मैनचेस्टर टेस्ट में बनाए रखने में उनका योगदान अतुलनीय रहा।
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