SIR Case Update: SIR पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, “15 जिंदा लोग लेकर आइए, जिनके नाम सूची से काटे गए हों”

Chandan Das

SIR Case Update: बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR)के तहत 65 लाख वोटरों के नाम हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रुख अपनाया। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह दावा किया गया कि इस प्रकिया के जरिए लाखों जिंदा लोगों के नाम भी सूची से कटा दिए गए हैं। इस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर बड़े पैमाने पर ऐसा हुआ है तो हम इस पर हस्तक्षेप करेंगे ।

कोर्ट की याचिकाकर्ताओं को चुनौती

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा, “आप ऐसे 15 जिंदा लोगों को लेकर आइए जो कहें कि वे जीवित हैं और फिर भी उनके नाम मतदाता सूची से काट दिए गए।” अदालत ने साफ किया कि अगर एसआईआर प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई गई, तो वह इस पूरी प्रक्रिया को रद्द करने से पीछे नहीं हटेगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सवाल किया कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को एसआईआर प्रक्रिया में क्यों नहीं जोड़ा जा रहा है। इस पर आयोग ने जवाब दिया कि इन दस्तावेजों पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इनका बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होता रहा है। आयोग ने कहा कि पहचान की पुष्टि के लिए अन्य 11 दस्तावेजों की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी

इस तर्क पर कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। न्याया लय ने कहा “अगर फर्जीवाड़े की ही बात करें, तो ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिसकी नकल न की जा सकती हो।” कोर्ट ने आयोग से पूछा कि 11 दस्तावेजों की मांग का आधार क्या है और यह प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है। न्यायालय ने दोहराया कि मतदाता अधिकारों के हनन पर किसी भी स्तर पर आंखें मूंदना संभव नहीं है।

आंकड़ों से हुआ खुलासा

चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि बिहार में मतदाता संख्या पहले 7.89 करोड़ थी, जो एसआईआर के बाद घटकर 7.24 करोड़ रह गई है। आयोग के अनुसार, हटाए गए 65 लाख नामों में से 22 लाख लोग मृत घोषित हुए हैं, 36 लाख लोग स्थानांतरित हो गए हैं और 7 लाख लोग अब किसी अन्य क्षेत्र के स्थायी निवासी बन चुके हैं।

12 अगस्त को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसकी इस मामले पर कड़ी नजर बनी हुई है। अगली सुनवाई 12 अगस्त को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने संकेत दिए कि अगर याचिकाकर्ता अपने दावों को प्रमाणित करने में सफल होते हैं, तो एसआईआर की पूरी प्रक्रिया पर पुनर्विचार हो सकता है। बिहार में मतदाता सूची से नाम काटने को लेकर मचे घमासान में अब सुप्रीम कोर्ट खुद हस्तक्षेप करने की तैयारी में है। अदालत ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं दोनों से ठोस प्रमाण मांगे हैं। यदि नामों को बिना उचित जांच के हटाया गया है, तो पूरी एसआईआर प्रक्रिया रद्द की जा सकती है।

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