SIR Names Controversy: SIR मामले में चुनाव आयोग का बड़ा बयान, सुप्रीम कोर्ट को बताया फैसला

Chandan Das
SIR Names Controversy
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SIR Names Controversy: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR (सर्वे ऑफ इन्फॉर्मेशन रजिस्ट्री) विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में विपक्ष द्वारा सरकार और चुनाव आयोग पर नाम काटने और मनमानी करने के आरोप लगाते रहने के बीच, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष स्पष्ट किया है।

चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में जवाब

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए व्यक्तियों की अलग से कोई सूची प्रकाशित करने का नियमों के तहत कोई दायित्व नहीं है। आयोग ने साफ कहा कि वह ऐसी कोई अलग सूची जारी नहीं करेगा। साथ ही, यह भी बताया कि आयोग को यह बताने की भी जरूरत नहीं है कि किन कारणों से किसी व्यक्ति को मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया।

क्या कहा गया हलफनामे में?

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना उचित प्रक्रिया के मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा। मतदाता सूची से नाम हटाने से पहले उन्हें उचित सूचना, सुनवाई का अवसर और तर्कपूर्ण आदेश दिया जाएगा। इसके अलावा सभी योग्य मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

SIR के दौरान उठाए गए कदम

चुनाव आयोग ने बताया कि राज्य में चल रहे SIR के दौरान गलत तरीके से नाम हटाने से रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। बिहार के लगभग 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ मतदाताओं ने अपने नामों की पुष्टि या आवेदन फार्म जमा किए हैं। इस प्रक्रिया में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी, बूथ स्तर अधिकारी (BLO), स्वयंसेवक और बूथ एजेंट सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

राजनीतिक दलों को भी छूटे हुए मतदाताओं की सूचियां समय-समय पर दी गईं ताकि वे नाम जोड़े जाने की मांग कर सकें। प्रवासी मजदूरों के लिए हिंदी में 246 अखबारों में विज्ञापन, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से आवेदन भरने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

ADR का आरोप और चुनाव आयोग का खंडन

ADR (अखिल भारतीय चुनाव निरीक्षक) ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि 65 लाख मतदाताओं को गलत तरीके से मतदाता सूची से बाहर किया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 6 अगस्त को हलफनामा दाखिल करने को कहा था। चुनाव आयोग ने इसे खारिज करते हुए बताया कि 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची जारी कर दी गई थी, जो बूथ स्तर अधिकारियों द्वारा घर-घर जाकर की गई जांच के बाद तैयार हुई।

सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई

इस मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 को होनी है। इस बीच चुनाव आयोग ने जोर दिया है कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बिना उचित प्रक्रिया के बाहर नहीं किया जाएगा। हालांकि विपक्ष चुनाव आयोग पर मनमाने तरीके से नाम काटने के आरोप लगा रहा है, लेकिन अब तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से मतदाता सूची में आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई है।

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