सितांशु कोटक एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी और वर्तमान में बल्लेबाजी कोच हैं। उनका जन्म 19 अक्टूबर 1984 को अहमदाबाद में हुआ था। कोटक ने सौराष्ट्र क्रिकेट टीम के लिए घरेलू क्रिकेट में अपने करियर की शुरुआत की। वे एक दाएं हाथ के बल्लेबाज थे और रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी जैसे प्रमुख टूर्नामेंट्स में अपनी बल्लेबाजी कौशल से पहचाने गए।
उन्होंने सौराष्ट्र के लिए कई महत्वपूर्ण पारियां खेली। क्रिकेट में अपनी सफलता के बाद, कोटक ने कोचिंग क्षेत्र में भी कदम रखा और सौराष्ट्र क्रिकेट टीम के बल्लेबाजी कोच के रूप में अपनी भूमिका निभाई। उनके मार्गदर्शन में कई युवा बल्लेबाजों ने सुधार किया और वे एक सम्मानित कोच बन गए।

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करियर की शुरुआत और घरेलू क्रिकेट
सितांशु कोटक ने अपनी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत घरेलू क्रिकेट से की और सौराष्ट्र के लिए खेलते हुए अपने करियर की नींव रखी। वे एक दाएं हाथ के बल्लेबाज थे, जो अपनी तकनीकी दक्षता और निरंतरता के लिए प्रसिद्ध थे। कोटक ने 2006-07 में सौराष्ट्र की टीम में स्थान पाया और धीरे-धीरे एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गए। उनकी बल्लेबाजी में स्थिरता और उत्कृष्टता देखने को मिली, जिससे उन्होंने रणजी ट्रॉफी जैसे प्रमुख टूर्नामेंट्स में प्रभावी प्रदर्शन किया। वे सौराष्ट्र के लिए कई मैचों में अहम योगदान देने वाले खिलाड़ी रहे और अपनी कड़ी मेहनत से घरेलू क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई। उनके प्रदर्शन ने उन्हें एक सम्मानित खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया।

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सफलता और पहचान
कोटक ने रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और दिलीप ट्रॉफी जैसे प्रमुख घरेलू टूर्नामेंट्स में बेहतरीन प्रदर्शन किया। सौराष्ट्र के लिए उन्होंने लगातार अच्छे रन बनाकर टीम को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाई। उनकी तकनीकी मजबूती और परिस्थितियों के अनुसार बल्लेबाजी करने की क्षमता ने उन्हें घरेलू क्रिकेट में एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी बना दिया। कोटक का योगदान सिर्फ रन बनाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें सौराष्ट्र टीम का महत्वपूर्ण सदस्य बना दिया। उनका स्थिर प्रदर्शन और निरंतरता घरेलू क्रिकेट में एक आदर्श के रूप में देखा जाता है, जिससे उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।

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कोचिंग में करियर
सितांशु कोटक ने अपने खेल करियर के बाद कोचिंग क्षेत्र में भी कदम रखा और सौराष्ट्र क्रिकेट टीम के बल्लेबाजी कोच के रूप में अपनी भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी तकनीकी विशेषज्ञता, अनुभव और कड़ी मेहनत से खिलाड़ियों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कोचिंग शैली, जिसमें धैर्य और व्यक्तिगत ध्यान दिया जाता है, ने उन्हें बहुत सराहना दिलाई।कोटक के मार्गदर्शन में कई युवा बल्लेबाजों ने अपनी बल्लेबाजी में सुधार किया और उन्होंने अपनी जगह क्रिकेट की दुनिया में बनाई। उनके कोचिंग करियर ने उन्हें भारतीय क्रिकेट में एक कुशल और प्रभावशाली कोच के रूप में स्थापित किया, और उनकी मेहनत से कई युवा खिलाड़ी अपनी क्षमता को पूरी तरह से पहचान पाए।

