Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी पर आज इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें संपूर्ण विधि और नियम

पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत हर माह की षष्ठी तिथि पर किया जाता है। इस दिन उपवास आदि रखते हुए भक्त भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करते हैं

Nivedita Kasaudhan
skanda sashti 2025
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Skanda Sashti 2025: सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कमी नहीं है और सभी का अपना महत्व होता है। लेकिन स्कंद षष्ठी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत आदि का विधान होता है।

पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत हर माह की षष्ठी तिथि पर किया जाता है। इस दिन उपवास आदि रखते हुए भक्त भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है। इस बार स्कंद षष्ठी का व्रत आज यानी 2 अप्रैल दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है। ऐसे में हम आपको पूजा का शुभ मुहूर्त व अन्य जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

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स्कंद षष्ठी व्रत की तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। षष्ठी तिथि का आरंभ 2 मई दिन शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर हो चुका है। वही इस तिथि का समापन 3 मई दिन शनिवार को सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में वैशाख माह की स्कंद षष्ठी आज यानी 2 मई दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से आरंभ हो रहा है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन 3 मई को सुबह 5 बजकर 39 मिनट पर हो जाएगा। आज स्कंद षष्ठी के दिन रवि योग, शिववास योग और अभिजीत मुहूर्त योग का भी निर्माण हो रहा है।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

आपको बता दें कि आज के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर घर के पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ सफाई करें फिर भगवान मुरुगन की प्रतिमा स्थापित कर भगवान को पुष्प, फल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद स्कंद षष्ठी व्रत कथा का पाठ करें।

भगवान मुरुगन के मंत्रों का जाप करें। दिनभर उपवास रखें आप निर्जला और फलाहार किसी भी तरह का व्रत कर सकते हैं। शाम के वक्त भगवान की विधिवत आरती कर प्रसाद का वितरण करें। अगले दिन सूर्योदय के बाद भगवान की पूजा कर अपने व्रत का पारण करें।

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