Sonam Raghuvanshi News: मेघालय हनीमून मर्डर केस में बुधवार को एक नया और चौंकाने वाला नाम सामने आया है। पुलिस जांच में पता चला कि सोनम रघुवंशी अपने प्रेमी राज कुशवाहा से ‘संजय वर्मा’ नाम से संपर्क में थी। कॉल डिटेल्स में सामने आया कि सोनम ने शादी से पहले और बाद में इस नंबर पर 100 से ज्यादा बार कॉल किए थे।
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राजा की हत्या की साजिश किसने रची ?
जांच में खुलासा हुआ है कि सोनम ने अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या की साजिश अपने प्रेमी राज कुशवाहा और उसके तीन साथियों – विशाल चौहान, आनंद कुर्मी और आकाश ठाकुर – के साथ मिलकर रची थी। हैरानी की बात यह है कि हत्या के लिए इन लोगों ने कोई सुपारी नहीं ली, बल्कि दोस्ती में इस खौफनाक साजिश को अंजाम देने तैयार हो गए।
हत्या के पीछे मास्टरमाइंड कौन ?
अब तक की तफ्तीश में यह साफ हो चुका है कि राजा की हत्या की पूरी साजिश सोनम और उसका प्रेमी राज कुशवाहा ही चला रहे थे। लेकिन इसमें एक और नाम सामने आया है जिसने ना सिर्फ हत्या में भागीदारी की, बल्कि सोनम को छिपाने में भी पूरा साथ दिया – और वो नाम है विशाल चौहान।
इंदौर में फ्लैट लेकर सोनम को छिपाया गया
राजा की हत्या के बाद सोनम ने इंदौर में जिस फ्लैट में 14 दिनों तक छिपकर समय बिताया, उसका एग्रीमेंट विशाल चौहान के नाम पर किया गया था। इस फ्लैट को विशाल और राज ने मिलकर काफी खोजबीन के बाद चुना था। मकसद था सोनम को ऐसी जगह छिपाना जहां कोई पूछताछ न हो सके।
गांधी बाग कॉलोनी बना सोनम की छिपने की जगह
विशाल ने देवास नाका के गांधी बाग कॉलोनी में एक नई बिल्डिंग को चुना, जहां अभी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे और आवाजाही भी बेहद कम थी। उसने प्रॉपर्टी कंसल्टेंट शिलोम जेम्स को 51 हजार रुपये दिए, जिसमें 17 हजार किराया और 38 हजार डिपॉजिट शामिल थे।
फर्जी कहानी बनाई, ताकि न हो कोई शक
विशाल ने फ्लैट लेते वक्त शिलोम को बताया कि वह स्टील और प्लाईवुड से जुड़ा काम करता है और जल्द शिफ्ट होना चाहता है। उसने यह भी कहा कि उसकी बड़ी बहन और माता-पिता कभी-कभी वहां रुकेंगे। यह झूठ सिर्फ इसलिए बोला गया ताकि सोनम की मौजूदगी पर कोई सवाल न उठे।
सोनम कब लौटी इंदौर ?
23 मई को राजा की हत्या के बाद सोनम 25 मई को इंदौर लौट आई और गांधी बाग कॉलोनी के उसी फ्लैट में 14 दिन तक छिपी रही। इसी दौरान राज ने उसके लिए 5 हजार रुपये का राशन ऑनलाइन मंगवाकर फ्लैट पर भिजवाया। मेघालय पुलिस सोनम को खाई में तलाश रही थी, जबकि वह इंदौर में मौजूद थी – और किसी को भनक तक नहीं लगी।