Sonam Wangchuk News: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत और उनके खिलाफ जारी न्यायिक प्रक्रिया को लेकर उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो ने एक गंभीर बयान दिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें और उनके पति को कोई उचित न्यायिक सहायता या सुरक्षा नहीं मिल रही है। गीतांजलि ने इस बात का भी खुलासा किया कि कैसे दिल्ली में उनका पीछा किया जा रहा है और उनके साथ काम करने वाले कई कर्मचारियों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया है।
सोनम वांगचुक से संपर्क करने की कोशिशें व्यर्थ
गीतांजलि आंगमो ने बताया कि जब उन्होंने सोनम से संपर्क करने की कोशिश की, तो एक शीर्ष संस्था के सदस्य ने उन्हें बताया कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी (DSP) ने उनसे कहा है कि कुछ लोग सोनम वांगचुक से मिल सकते हैं। हालांकि, गीतांजलि ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस बात को लिखित में मांगने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कभी कोई लिखित प्रमाण नहीं मिला। इससे यह स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की तरफ से पारदर्शिता का अभाव है और सोनम वांगचुक के संपर्क को बाधित किया जा रहा है।
हिरासत में प्रताड़ना का आरोप
गीतांजलि ने यह भी कहा कि उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है और वे मानसिक तथा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किए जा रहे हैं। उन्हें पीटा जा रहा है और इस अमानवीय व्यवहार से वे न केवल अपने परिवार के प्रति चिंतित हैं, बल्कि पूरे देश को भी इस मामले की गंभीरता से अवगत कराना चाहती हैं।
दिल्ली में लगातार हो रहा है पीछा
गीतांजलि ने यह बताया कि दिल्ली के हर कोने में उनकी निगरानी की जा रही है। वे जहां भी जाती हैं, एक कार उनका पीछा करती रहती है, जिससे उनके जीवन में भय और असुरक्षा की भावना बनी हुई है। यह मामला केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का नहीं, बल्कि लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था की भी परीक्षा है।इन परिस्थितियों के कारण, गीतांजलि आंगमो ने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें और उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उनका मानना है कि अगर देश की प्रतिष्ठित और लोकप्रिय हस्तियों के लिए न्याय में देरी हो सकती है, तो आम जनता के लिए न्याय पाने की उम्मीद और भी कम हो जाती है।
देश को जागरूक होने की जरूरत
गीतांजलि का यह संदेश पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि यदि किसी जलवायु कार्यकर्ता या सामाजिक कार्यकर्ता के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा सकता है, तो इससे लोकतंत्र की जड़ों को खतरा हो सकता है। जनता और मीडिया को चाहिए कि वे इस मामले पर गहनता से विचार करें और न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवाज़ उठाएं।
