Sonam Wangchuk News: लद्दाख में सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लेकर बीते कुछ समय से विवाद गहराता जा रहा है। अलग-अलग मंचों से उनके खिलाफ प्रताड़ना और दबाव के आरोप लगाए जा रहे थे। अब इस पूरे मामले पर लद्दाख प्रशासन ने चुप्पी तोड़ते हुए अपना पक्ष साफ तौर पर सामने रखा है। प्रशासन ने कहा है कि सोनम वांगचुक या किसी भी व्यक्ति को सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रताड़ित करने का कोई प्रमाण नहीं है। उनके खिलाफ जो भी कानूनी कार्रवाई हुई है, वह पूरी तरह दस्तावेज़ों और सबूतों पर आधारित है। प्रशासन का कहना है कि कुछ समूह जानबूझकर भ्रामक बातें फैला रहे हैं ताकि जनता को गुमराह किया जा सके।
HIAL और SECMOL पर गंभीर आरोप
प्रशासन के अनुसार, HIAL (Himalayan Institute of Alternatives, Ladakh) में वित्तीय और विदेशी मुद्रा अधिनियम (FCRA) उल्लंघनों की जांच चल रही है। पहले ऐसे सबूत सामने आए हैं जो जांच के योग्य हैं। यह भी बताया गया कि HIAL, एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय नहीं है, फिर भी यह छात्रों को डिग्रियां जारी कर रहा है, जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
वहीं, SECMOL संस्था का FCRA लाइसेंस भी एक नहीं, बल्कि कई उल्लंघनों के कारण रद्द किया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि इसके पीछे कानूनी प्रक्रिया और ठोस सबूत हैं। संगठन चाहे तो इसके खिलाफ उचित प्राधिकरण में अपील कर सकता है।
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सोनम वांगचुक के बयानों को बताया भड़काऊ

प्रशासन ने आरोप लगाया कि वांगचुक ने भीड़ को भड़काने वाले कई बयान दिए हैं। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर ‘अरब स्प्रिंग’ जैसे आंदोलन की बात की और आत्मदाह जैसे खतरनाक कदमों को सपोर्ट किया। उन्होंने नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों का हवाला देकर युवाओं को उकसाने का प्रयास किया।
एक इंटरव्यू में वांगचुक ने कहा था कि कुछ युवा अब गांधीवादी तरीके नहीं अपनाना चाहते और अगर लोग सड़कों पर उतरेंगे तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। इससे प्रशासन को यह आशंका हुई कि वांगचुक का मकसद शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक अस्थिरता पैदा करना था।
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प्रदर्शन में छिपी रणनीति और प्रशासन की नजर
प्रशासन ने दावा किया कि अनशन से पहले वांगचुक ने प्रदर्शनकारियों को मास्क, टोपी और हुडी पहनने की सलाह दी ताकि पहचान छिपाई जा सके। यह सब कोविड के बहाने किया गया जबकि लद्दाख में उस समय ऐसा कोई खतरा नहीं था। प्रशासन का आरोप है कि वांगचुक ने स्थिति को भड़काने का प्रयास किया लेकिन जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तो वे खुद चुपचाप पीछे हट गए।
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प्रशासन का जनता से शांति की अपील

लद्दाख प्रशासन ने ये बताया कि 20 सितंबर 2025 को बात-चीत की तारीख तय की गई थी और उसमें नर्मी भी दिखाई गई थी। इसके अलावा भी वांगचुक ने अनशन समाप्त नहीं किया और हड़ताल पर डटे रहे। प्रशासन ने कहा कि उनकी ये कार्रवाई आगे बढ़ने की वजह बनी। प्रशासन ने अंत में लद्दाख के लोगों से अपील की कि वे कानून की प्रक्रिया में विश्वास रखें और शांति बनाए रखें
