Sonia Gandhi News: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस याचिका में सोनिया गांधी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर अपराधों के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में यह दावा किया गया है कि सोनिया गांधी ने अप्रैल 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी, जबकि इससे पहले ही उनका नाम 1980 की मतदाता सूची में कथित रूप से जोड़ दिया गया था, जो नियमों का उल्लंघन है।
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मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को चुनौती
बताते चले कि, विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने विकास त्रिपाठी नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई इस आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए। याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने का आदेश देने से इनकार कर दिया गया था। यह पूरा मामला सोनिया गांधी को अप्रैल 1983 में भारतीय नागरिकता मिलने के बावजूद, कथित तौर पर 1980 में ही नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में उनका नाम शामिल करने से जुड़ा है।
सत्र न्यायालय में दलीलें
राउज एवेन्यू स्थित सत्र न्यायालय ने मंगलवार को पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया। यह याचिका मजिस्ट्रेट के सितंबर के आदेश को चुनौती देती है, जिसमें 1980-81 की मतदाता सूची में सोनिया गांधी को कथित रूप से गलत तरीके से शामिल करने का आरोप लगाने वाली एक शिकायत को खारिज कर दिया गया था। सत्र न्यायाधीश विशाल गोगने ने पुनरीक्षणकर्ता की ओर से दी गई दलील सुनने के बाद यह निर्देश जारी किया।
दस्तावेजों में हेराफेरी का संदेह
पुनरीक्षणकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने अदालत में जोरदार तर्क पेश किए। उन्होंने दलील दी कि इस मामले पर पुनर्विचार करना आवश्यक है क्योंकि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से यह संकेत मिलता है कि भारतीय नागरिक बनने से पहले सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में दर्ज करने के तरीके में गंभीर अनियमितताएं थी। अधिवक्ता नारंग ने यह दलील दी कि 1980 की मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए कुछ दस्तावेजों में जालसाजी और हेराफेरी की गई होगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बाद में उनका नाम हटा दिया गया था, और फिर जनवरी 1983 में दायर एक आवेदन के आधार पर 1983 में पुनः दर्ज किया गया। उनके अनुसार, ये दोनों घटनाएं सोनिया गांधी के नागरिकता प्राप्त करने से पहले की हैं, जो कानून का उल्लंघन है।
