Sonia Gandhi: कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर गुरुवार को मोदी सरकार की विदेश नीति पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत की चुप्पी और निष्क्रियता न केवल उसकी पुरानी विदेश नीति से अलग है, बल्कि यह मानवता और नैतिकता के साथ भी विश्वासघात है। सोनिया गांधी ने कहा, “भारत को इस संघर्ष में न्याय और मानवाधिकारों के पक्ष में नेतृत्व करना चाहिए, जैसा वह इतिहास में करता आया है। आज जब पूरी दुनिया फिलिस्तीन के समर्थन में खड़ी है, भारत का रुख निराशाजनक है।”
विदेश नीति पर उठाए गंभीर सवाल
उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की मौजूदा विदेश नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की निजी दोस्ती से प्रभावित दिखती है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि, “विदेश नीति व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सिद्धांतों और राष्ट्रीय मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए।”
भारत की ऐतिहासिक भूमिका की याद दिलाई
सोनिया गांधी ने भारत की ऐतिहासिक विदेश नीति को याद दिलाते हुए कहा:1988 में भारत ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी।भारत ने अल्जीरिया, दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश जैसे संघर्षों में हमेशा मानवाधिकार और न्याय का साथ दिया।आज भी भारत का इतिहास और उसके मूल्य यही कहते हैं कि उसे फिलिस्तीन की आवाज बनना चाहिए।
चुप रहना अन्याय का समर्थन: सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने कहा कि मौजूदा हालात में भारत की चुप्पी, अन्याय को मौन समर्थन देने के बराबर है। उन्होंने कहा, “गाजा में तबाही मच चुकी है। स्कूल, अस्पताल, घर सब खत्म हो चुके हैं। 55 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 17 हजार से ज्यादा बच्चे हैं।”उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इजराइली सेना मानवीय मदद जैसे भोजन और दवा तक को लोगों तक पहुंचने से रोक रही है, और जब लोग भोजन लेने निकलते हैं, तब उन पर गोलियां चलाई जाती हैं। उन्होंने इसे “अमानवीयता की हद” करार दिया।
फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों का जिक्र
सोनिया गांधी ने बताया कि 193 देशों में से 150 से अधिक देश फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे चुके हैं, जिनमें फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख राष्ट्र शामिल हैं। ऐसे में भारत का इजराइल के साथ निवेश समझौता और दक्षिणपंथी नेताओं की मेजबानी करना गंभीर सवाल खड़े करता है। सोनिया गांधी का यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि कांग्रेस पार्टी इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की मौजूदा नीति से सहमत नहीं है और वह सरकार से सक्रिय और नैतिक नेतृत्व की अपेक्षा रखती है। उन्होंने कहा, “यह इजराइल या फिलिस्तीन में से किसी एक को चुनने का मामला नहीं है, बल्कि सच और सिद्धांतों का साथ देने का मामला है।”
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