Mata Prasad Pandey : उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडे ने शुक्रवार को संविधान की सर्वोच्चता और उसके समान अधिकारों की व्याख्या करते हुए सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब भारत आजाद हुआ, तब देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए संविधान का निर्माण किया गया था, और वही संविधान हर नागरिक के अधिकारों की गारंटी देता है।
“संविधान में सबके अधिकार समान”
विधानसभा सत्र के दौरान बोलते हुए माता प्रसाद पांडे ने कहा:“जब भारत आजाद हुआ था, तो भारत का प्रशासन कैसे चलेगा, इसके लिए संविधान बनाया गया। उसमें सभी के अधिकारों का वर्णन है। जो कानून हमारे लिए हैं, वही कानून दूसरों पर भी लागू होने चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि संविधान के मूल सिद्धांतों – समता, स्वतंत्रता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता – को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। “यदि कोई कानून या नीति किसी वर्ग विशेष के पक्ष में या विरोध में दिखाई देती है, तो वह संविधान के मूल भाव के खिलाफ है,” उन्होंने कहा।
लोकतंत्र में कानून सबके लिए बराबर
माता प्रसाद पांडे ने अपने भाषण में लोकतंत्र और कानून के समान अनुप्रयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान न केवल शासन का ढांचा तय करता है, बल्कि यह हर नागरिक को समान अवसर और अधिकार देता है। “कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे कानून के दायरे में रहकर ही काम करना चाहिए। अगर हम संविधान की अवहेलना करेंगे, तो लोकतंत्र की नींव कमजोर होगी।”
सत्ताधारी दल पर अप्रत्यक्ष हमला
हालांकि उन्होंने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की कार्यशैली पर अप्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज संविधान की बातें केवल किताबों तक सीमित रह गई हैं, जबकि जमीनी स्तर पर भेदभाव और असमानता दिखाई देती है। उन्होंने सवाल उठाया “जब एक गरीब व्यक्ति न्याय के लिए लड़ता है, तो उसे वर्षों इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अगर किसी प्रभावशाली पर आरोप लगे, तो तुरंत कार्रवाई या बचाव शुरू हो जाता है। क्या यही संविधान की आत्मा है?”
समाजवादी पार्टी का रुख स्पष्ट
सपा नेता के इस बयान से यह साफ संकेत मिलता है कि आगामी चुनावों को देखते हुए पार्टी संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाने की रणनीति अपना रही है। माता प्रसाद पांडे का यह बयान न केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी चेतावनी है जो सत्ता में रहकर संविधान की भावना के साथ खिलवाड़ करते हैं। यह वक्त की मांग है कि हर नीति और हर कानून संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हो, ताकि लोकतंत्र की नींव और मज़बूत हो।

