SRMU: श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय पर 17 वर्षों से सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा है। खूजर गांव के ग्राम प्रधान रामनाथ यादव ने बार-बार अधिकारियों के चक्कर काटे और लेखपाल से लेकर उपजिलाधिकारी तक कई बार शिकायतें की, लेकिन अब तक किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। धीरे-धीरे विश्वविद्यालय ने ग्राम समाज की लगभग दो हेक्टेयर जमीन अपने कब्जे में ले ली।
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ग्राम प्रधान ने पांच बार पत्र लिखकर जताई आपत्ति
ग्राम प्रधान रामनाथ यादव ने पांच बार अधिकारियों को पत्र लिखकर जमीन पर कब्जे का मामला उठाया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने 23 अप्रैल 2025 को उपजिलाधिकारी नवाबगंज को पत्र लिखा और एसडीएम से मिलकर मामले की जानकारी दी। प्रधान का आरोप था कि विश्वविद्यालय ने दो तालाब, चकमार्ग और नाली की जमीन पर कब्जा करने की योजना बनाई है और कुछ जमीन पहले ही कब्जा कर ली गई थी।
छात्रों और विद्यार्थी परिषद के विवाद के बाद कार्रवाई
आपको बता दे कि, श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय परिसर में 2 सितंबर को छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज के बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की। पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के बाद अब विश्वविद्यालय की ओर से ग्राम समाज की जमीन कब्जाने का मामला सामने आया। उपजिलाधिकारी आनंद तिवारी ने बताया कि जमीन की पैमाइश शनिवार से करवाई जा रही है।
ग्राम प्रधान ने क्या कहा ?
ग्राम प्रधान ने बताया कि विश्वविद्यालय ने लगभग दो हेक्टेयर जमीन पर टीनशेड डालकर श्रमिकों के रहने का स्थान बना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि लेखपाल इस कब्जे में शामिल थे, लेकिन एसडीएम और तहसील प्रशासन ने किसी शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया। 24 अप्रैल को अपर जिलाधिकारी को, 29 अप्रैल को राजस्व परिषद के अध्यक्ष को पत्र भेजे गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
पुराने शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं हुई
पूर्व ग्राम प्रधान रानी ने वर्ष 2013 में भी इस जमीन पर कब्जे की शिकायत की थी, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। अब छात्रों और विश्वविद्यालय में हुए विवाद के बाद यह मामला चर्चा में आया और जमीन की पैमाइश शुरू करवाई जा रही है। प्रशासन का कहना है कि पैमाइश पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
रामनाथ यादव का कहना है कि लंबे समय से जमीन पर कब्जे से ग्राम समाज को भारी नुकसान हुआ है। अब पैमाइश शुरू होने के बाद वे उम्मीद करते हैं कि प्रशासन शीघ्र कार्रवाई करेगा और ग्राम समाज की जमीन उन्हें वापस मिलेगी।

