Kalyan Banerjee Fraud: तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी के पुराने बैंक अकाउंट से साइबर अपराधियों ने 56 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है। यह मामला हाल ही में उस समय सामने आया, जब बैंक अधिकारियों ने कोलकाता पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। यह घटना सोशल मीडिया और बैंकिंग क्षेत्र में एक बार फिर साइबर सुरक्षा के मुद्दे को लेकर सवाल उठाती है।
2001-2006 में खोला गया था अकाउंट
बताया जा रहा है कि यह बैंक अकाउंट 2001 से 2006 के बीच उस समय खोला गया था जब कल्याण बनर्जी आसनसोल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। यह खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की विधानसभा उप-शाखा में खोला गया था, जो कि एसबीआई की हाईकोर्ट ब्रांच के तहत आती थी। विधायक रहते हुए बनर्जी के सभी भत्ते इस खाते में जमा होते थे।हालांकि, सांसद बनने के बाद यह खाता निष्क्रिय हो गया था और इस पर कोई लेन-देन नहीं हो रहा था। बनर्जी का वर्तमान में प्राथमिक बैंक अकाउंट एसबीआई की कालीघाट शाखा में है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में इस पुराने निष्क्रिय अकाउंट से अचानक बड़ी राशि ट्रांसफर होने की जानकारी मिली।
साइबर अपराधियों ने इस्तेमाल की सांसद की तस्वीर और मोबाइल नंबर
कल्याण बनर्जी ने बताया कि 6 नवंबर 2025 को, एसबीआई की हाईकोर्ट शाखा के प्रबंधक ने उन्हें फोन कर इस धोखाधड़ी की जानकारी दी। जांच में यह सामने आया कि अपराधियों ने सांसद की तस्वीर और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर इस बंद पड़े अकाउंट से 56 लाख रुपए ट्रांसफर किए। इसके बाद, साइबर अपराधियों ने पूरी राशि को निकाल लिया।यह घटना कई सवालों को जन्म देती है, खासकर इस बात को लेकर कि एक निष्क्रिय अकाउंट में कैसे इतनी बड़ी राशि ट्रांसफर की जा सकती है और उस तक पहुंचने के लिए साइबर अपराधियों ने किस तरह से सांसद के व्यक्तिगत विवरण का इस्तेमाल किया।
कोलकाता पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत
इस मामले के सामने आने के बाद, एसबीआई अधिकारियों ने कोलकाता पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी है। अब तक, साइबर अपराधियों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन बैंक ने इसे अपनी सुरक्षा प्रणाली में चूक मानते हुए इस घटना की जांच का आश्वासन दिया है।
बैंक और साइबर सुरक्षा पर उठते सवाल
यह घटना दर्शाती है कि डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के युग में साइबर सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। हाल के वर्षों में, भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने साइबर सुरक्षा के उपायों को सख्त किया है, लेकिन ऐसे मामलों में यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधियों के पास तकनीकी तौर पर इतनी क्षमता है कि वे व्यक्तिगत जानकारी और विवरण का उपयोग करके बड़ी धोखाधड़ी कर सकते हैं।बैंकिंग अधिकारियों ने इस मामले में जल्दी ही कार्रवाई करने का वादा किया है और उन्होंने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे अपने पुराने और निष्क्रिय अकाउंट्स पर भी निगरानी रखें, क्योंकि साइबर अपराधी अक्सर इन्हीं खातों को निशाना बनाते हैं, जिनमें लेनदेन नहीं हो रहा होता।
कल्याण बनर्जी के साथ घटित यह साइबर धोखाधड़ी की घटना यह साबित करती है कि व्यक्तिगत जानकारी और डिजिटल बैंकिंग प्रणाली के प्रति हमारी सतर्कता और सुरक्षा बेहद जरूरी है। यह एक बड़ा संकेत है कि बैंक और ग्राहक दोनों को मिलकर साइबर सुरक्षा के उपायों को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
