Terror Attack Jammu: करीब पंद्रह दिन पहले, सीमा पर ड्यूटी के लिए रवाना होते समय सुभाष चंद्र (Subhash Chandra) के चेहरे पर देश की सुरक्षा का जज्बा साफ झलक रहा था. उन्होंने कहा, “ड्यूटी पर पहुंचकर फोन करूंगा,” और हाथ में दादी की तस्वीर को निहारते हुए उनकी आंखें भर आईं. दादी के निधन के कारण ही वह घर आए थे. एक महीने तक घर पर रहते हुए भी उन्हें हर रोज ड्यूटी की चिंता सताती रहती. वह अक्सर सीमा की स्थिति और जवानों की वीरता के किस्से सुनाते थे, जो उनके गांव में चर्चा का विषय बने रहे.
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दादी के निधन के कारण घर वापसी

बताते चले कि सुभाष चंद्र (Subhash Chandra) की दादी का 30 मई को निधन हो गया था, जिससे वह गांव लौट आए थे. सात जुलाई को वह जम्मू वापस गए थे. उनके बड़े भाई बलदेव ने बताया कि पड़ोस के गांव के एक जवान ने मंगलवार सुबह 10 बजे फोन कर सुभाष के बलिदान की सूचना दी. यह खबर सुनकर परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई. 11 बजे के करीब गांव में लेखपाल, कानूनगो और अन्य राजस्व कर्मी पहुंचे और घर के अन्य सदस्यों को अनहोनी की जानकारी मिली। इसके बाद घर में चीख-पुकार मचने लगी.
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सुभाष की बहादुरी

सुभाष की मां और पत्नी को पहले गोली लगने की सूचना दी गई थी, लेकिन रात होते-होते उन्हें सच्चाई का पता चला और वे बदहवास हो गईं. उनके करुण क्रंदन से हर व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गए. दिनभर घर पर लोगों की भीड़ लगी रही. 28 वर्षीय सुभाष चंद्र (Subhash Chandra) बेहद बहादुर थे. उनके भाई बलदेव ने बताया कि वह युद्ध के मैदान में हमेशा डटकर मुकाबला करते थे. 2021 में बारामूला सेक्टर में तैनाती के दौरान भी उन्होंने आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश का डटकर मुकाबला किया था. आतंकियों की गोली उनके हेलमेट में लगी थी, फिर भी उन्होंने आतंकियों को खदेड़ दिया था.
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परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल

आपको बता दे कि सुभाष चंद्र (Subhash Chandra) के बलिदान पर उनके पिता मथुरा प्रसाद के आंसू नहीं थम रहे. वह रोते हुए बोले, “देश के लिए बेटा बलिदान हुआ है, उसकी वीरगति पर गर्व है.”मां पुष्पा देवी भी रोते हुए बोलीं, “हे भगवान, मेरा बेटा छीन लिया। 15 दिन पहले ही उसे हंसी-खुशी भेजा था, अब उसका चेहरा कैसे देख पाऊंगी.” सुभाष की पत्नी कांति देवी और डेढ़ साल की बेटी रितिका है. कांति देवी आठ महीने की गर्भवती हैं. सुभाष की बेटी को गोद में लिए उनके पिता मथुरा प्रसाद भी भावुक हैं.
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