Success Story: पिता बनाते थे टायर पंचर, बेटे ने पहले ही प्रयास में पीसीएस-जे में लहराया परचम

Sharad Chaurasia
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  • पीसीएस-जे 2022

UP PCS J Result 2022: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस-जे 2022 का रिजल्ट घोषित कर दिया है। लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित पीसीएस-जे 2022 यानी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट का अंतिम चयन 30 अगस्त को घोषित कर दिया गया था। परिणाम घोषित होने के बाद प्रयागराज के नवाबगंज इलाके में रहने वाले फहद अहमद ने अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली।

प्रयागराज के अहद अहमद अभी कुछ साल पहले तक कभी पिता के साथ पंक्चर बनवाते थे तो कभी मां का हाथ बंटाते हुए कपड़े सिलते थे। लेकिन अब वो PCS-J की परीक्षा पास कर जज बन चुके है। बेटे के चयन के बाद खुशी से माता- पिता के आंखों से आंसू छलक आए। बेटे के चयन के बाद परिजनों को चारों ओर से बधाईयां मिलने लगी है।

प्रथम प्रयास में हासिल की सफलता

पीसीएस-जे 2022 यानी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट परिणाम में प्रयागराज के अहद अहमद ने कड़ी मेहनत कर अपने पहले ही प्रयास में हासिल कर लिया। बता दें कि प्रयागराज निवासी अहद अहमद बहुत ही गरीब परिवार से आते है। उसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उसके पिता साइकिल पंक्चर बनाने का काम करते है। और मां घर घर से कपड़ा लाती है और सिलाई कढ़ाई का काम करती है। मां-बाप दोनों ने मिलकर किसी तरह बेटे को पढ़ाने का सपना देखा। बेटा भी जी जान लगाकर पढ़ता रहा और आखिरकार वह दिन आया जिस दिन दोनों मां बाप का सपना साकार हुआ।

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पिता की साईकिल रिपेयरिंग की दुकान

प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूरी पर बरई हरख गांव है। यहां शहजाद अहमद अपनी पत्नी अफसाना और तीन बच्चों के साथ रहते हैं। घर के बगल ही उनकी साईकिल रिपेयरिंग की दुकान है। यह दुकान उनके पिता ने 1985 के आस-पास खोली थी। शहजाद का मन पढ़ाई में नहीं लगा और वह 10वीं में फेल हो गए। इसके बाद वह पिता के साथ रहकर साईकिल रिपेयरिंग का काम सीखा और दुकान पर बैठने लगे। कुछ वक्त के बाद बगल में ही छोटे भाई को जनरल स्टोर की दुकान खुलवा दी। अब दोनों भाई दिनभर अपनी दुकान पर काम करने लगे।

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दुकान की कमाई से चलता था खर्चा

अहद अहमद के पिता की साईकिल रिपेयरिंग की दुकान से जो कमाई होती थी उससे परिवार का खर्च तो चल जाता लेकिन तीन बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकालना मुश्किल था। ऐसे कठिन समय में शहजाद की पत्नी अफसाना ने बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा संभाला। माता- पिता ने किसी तरह पैसे इकट्ठा करके एक सिलाई मशीन खरीदा और फिर गांव की ही महिलाओं का कपड़ा सिलने लगीं। इससे जो कमाई होती वह उससे अपने बच्चों की फीस जमा करती थीं। बड़े बेटे ने पढ़ाई करके प्राइवेट नौकरी ज्वॉइन कर ली।

आर्थिक स्थिति कमजोर, नही मिली कोचिंग व्यवस्था

BA LLB करने के बाद अहद प्रयागराज से वापस अपने घर आ गए। एक सीनियर के जरिए कभी-कभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने जाते थे। घर से जाने के लिए रोज 100 रुपए मिलते थे। कोविड आया तो कोर्ट बंद हो गया। अहद ने घर पर ही रहकर पीसीएस-जे की तैयारी शुरू कर दी। पैसे नहीं थे इसलिए कोचिंग नहीं की। अहद बताते हैं, “प्री परीक्षा बहुत अच्छी हुई। घर आकर जब सवालों को मिलाया तो करीब 320 नंबर से ज्यादा सही दिखे। जबकि मेरिट 280 के आसपास रहती है। उसी दिन से मैं मेंस की परीक्षा तैयारी में जुट गया।”

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