भाजपा नेता Sudhanshu Trivedi ने हाल ही में देश के दो अत्यंत महत्वपूर्ण और विरोधाभासी दृश्यों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि पिछले 36 घंटे में देश ने दो ऐसे दृश्य देखे जो एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हैं और भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक परिदृश्य को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
RSS की शताब्दी: राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक
सुधांशु त्रिवेदी ने बताया कि पहली घटना देश के सबसे बड़े सामाजिक-राष्ट्रीय संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 वर्ष पूरे होने की है। 100 वर्षों से निरंतर देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक उत्थान के लिए समर्पित RSS ने अपने स्थापना दिवस पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष सिक्का जारी किया, जिसमें पहली बार भारत की मुद्रा पर मां भारती का चित्र अंकित है। यह कदम भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक माना जा रहा है, जिसने देशवासियों के बीच उत्साह और गर्व की भावना जगाई है।
कांग्रेस पार्टी का पतन और राजनीतिक अस्थिरता
वहीं, सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि दूसरी ओर, देश ने पिछले 140 वर्षों में अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा है। 140 वर्ष पुरानी कांग्रेस पार्टी, जो पिछले सौ वर्षों से एक ही परिवार के वर्चस्व में थी, आज अपने सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। सत्ता से हटने के बाद पार्टी में अस्थिरता और बदहवासी स्पष्ट नजर आ रही है। इसी के चलते कांग्रेस के खानदान के एक प्रमुख नेता द्वारा दिए गए विवादित बयान ने पार्टी की आंतरिक कमजोरियों को उजागर कर दिया है।
राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह दो घटनाएँ देश के राजनीतिक और सामाजिक इतिहास में एक बड़ा बदलाव लेकर आई हैं। जहां RSS का शताब्दी उत्सव देश के लिए एक गर्व का विषय है, वहीं कांग्रेस पार्टी के संकट ने राजनीतिक अस्थिरता और नेतृत्व संकट की कहानी बयान की है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में देशवासियों को सतर्क रहना होगा और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना होगा।
देश ने बीते कुछ दिनों में एक ओर जहां राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक गौरव के नए आयाम देखे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक अस्थिरता और नेतृत्व संकट की झलक भी मिली है। यह वक्त है समझदारी और राष्ट्रीय एकजुटता का, जिससे भारत एक समृद्ध और प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में उभर सके। सुधांशु त्रिवेदी के इस बयान ने भारतीय राजनीति की जटिलताओं को सामने लाने के साथ-साथ देशवासियों के लिए एक संदेश भी दिया है कि हमें अपने इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रीय हितों को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
