UP AQI: उत्तर प्रदेश में सर्दी के दस्तक देने के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। खासकर दिल्ली से सटे जिलों जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में दिवाली के बाद हालात बेहद चिंताजनक हो गए थे। इन इलाकों में प्रदूषित हवा के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही थी। हालांकि बुधवार को कुछ स्थानों पर प्रदूषण में मामूली गिरावट दर्ज की गई, लेकिन हवा की गुणवत्ता अब भी खराब श्रेणी में बनी हुई है।
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मेरठ में सबसे ज्यादा प्रदूषण

प्रदेश में मेरठ सबसे अधिक प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया है। यहां ठंड और प्रदूषित हवा दोनों ने मिलकर लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। पिछले एक सप्ताह से मेरठ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 250 से 350 के बीच बना हुआ है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार बुधवार सुबह छह बजे मेरठ के पल्लवपुरम में AQI 322 दर्ज किया गया। वहीं जयभीम नगर में 316 और गंगानगर में 248 AQI रिकॉर्ड किया गया। 300 से अधिक AQI को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रखा जाता है, जो सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ा सकता है।
मौसम विभाग की राहत की उम्मीद
मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि 30 अक्टूबर के बाद मेरठ में प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है। गुरुवार को यहां तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना है, जिससे वायु में मौजूद प्रदूषक तत्वों का स्तर घट सकता है।
नोएडा और गाजियाबाद में स्थिति चिंताजनक
मेरठ के अलावा नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में भी वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। बुधवार को इन क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर में थोड़ी गिरावट जरूर देखी गई, लेकिन यह राहत कितनी स्थायी होगी, कहना मुश्किल है।
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में बुधवार सुबह AQI 265 रिकॉर्ड किया गया। नोएडा के सेक्टर 116 में 287 और सेक्टर 62 में 263 AQI दर्ज किया गया। गाजियाबाद के वंसुधरा में 298, लोनी में 259, संजय नगर में 227 और इंदिरापुरम में 210 AQI रहा। ये सभी आंकड़े ‘खराब’ श्रेणी में आते हैं।
अन्य शहरों की स्थिति

मुजफ्फरनगर और हापुड़ जैसे शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं। मुजफ्फरनगर में AQI 258 और हापुड़ में 256 रिकॉर्ड किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बुलंदशहर भी इसी श्रेणी में शामिल है।
उत्तर प्रदेश के इन शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि आम जनजीवन पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में प्रशासन और नागरिकों को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को अपनाना होगा।
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