Bihar SIR Case: बिहार SIR मामले में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी, चुनाव आयोग से मांगी जिनके नाम कटे उनकी डिटेल

Chandan Das
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Bihar SIR Case: बिहार समेत पांच अन्य चुनावी राज्यों में मतदाता सूची शुद्धिकरण प्रक्रिया (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIR कराने का अधिकार और जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है, और न्यायालय का इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, “यह चुनाव आयोग का विशेष अधिकार क्षेत्र है। हम बीच में आकर हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि वह ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद जिन 3.66 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए और 21 लाख नए मतदाताओं को जोड़ा गया, उनके आंकड़े एकत्र कर एक नोट तैयार करे। यह कदम मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी माना जा रहा है।

जिनके नाम काटे गए, उन्हें सूचना नहीं दी गई

SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि जिन लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, उन्हें न तो कोई सूचना दी गई और न ही कोई कारण बताया गया। सिंघवी ने जोर देकर कहा, “3.66 लाख लोगों के नाम हटाए गए, लेकिन किसी को नोटिस तक नहीं मिला। अपील करने का प्रावधान तो है, लेकिन जानकारी न होने के कारण अपील का सवाल ही नहीं उठता।”

इसी बीच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि कुल 47 लाख नामों को मतदाता सूची से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया ने मतदाता सूची को शुद्ध करने की बजाय उसमें और भी गड़बड़ी बढ़ा दी है और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।

चुनाव आयोग ने दी अपनी सफाई

चुनाव आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि अब तक किसी भी मतदाता ने आयोग के पास शिकायत दर्ज नहीं कराई है। केवल दिल्ली के कुछ व्यक्ति और ADR ने इस मामले को उठाया है, जिनका चुनाव से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता पक्ष से पूछा, “SIR से प्रभावित लोग कहां हैं?” इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि वे 100 प्रभावित लोगों को कोर्ट में ला सकते हैं और पहले भी ऐसा कर चुके हैं।

कोर्ट का आदेश और अगली सुनवाई

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे उन सभी लोगों की जानकारी इकट्ठा करें जिनका नाम बिना कारण बताए मतदाता सूची से हटाया गया है। इसके बाद अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी कहा है कि वे इस मामले में पूरी जानकारी साझा करें ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।

बिहार और अन्य पांच राज्यों में SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है। यह मामला आगामी चुनावों की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

चुनाव आयोग द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट और याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अगली सुनवाई में फैसला होगा कि कैसे मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सके।

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