Supreme Court On SIR: BLO की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्यों को बड़े निर्देश जारी, शिक्षकों को राहत

बूथ लेवल ऑफिसर्स की लगातार मौत और तनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया! अब शिक्षकों को BLO ड्यूटी के नाम पर गैर-शैक्षणिक कामों से मिलेगी मुक्ति। SC ने राज्यों को जारी किया कड़ा आदेश - जानें कौन से काम अब BLOs से नहीं कराए जा सकेंगे और यह 'सुप्रीम मरहम' उन्हें कब से मिलेगा?

Chandan Das
Supreme Court On SIR
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Supreme Court On SIR: चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब पूरे देश में मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Revision of Electoral Rolls – SIR) कराने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची में सुधार करना और सुनिश्चित करना है कि चुनावों में हर योग्य व्यक्ति का नाम शामिल हो। आयोग ने इस महत्वपूर्ण कार्य को इस साल के अंत तक पूरा करने की योजना बनाई है और इसके लिए काम तेजी से शुरू कर दिया है। हालांकि, इस कार्य के दवाब के चलते कई स्थानों पर बीएलओ (Booth Level Officer) की मौतों की खबरें भी सामने आई हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

Supreme Court On SIR: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश (CJI) न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि SIR प्रक्रिया एक वैध कार्यवाही है, जिसे पूरा करना आवश्यक है। अगर कहीं स्टाफ की कमी का सामना हो रहा है, तो यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे इसका समाधान करें। CJI ने यह भी कहा कि यदि बीएलओ को राहत नहीं मिलती है, तो वे कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों द्वारा चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए गए कर्मचारी अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए बाध्य हैं और अगर किसी बीएलओ को अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड़ रहा है, तो राज्य सरकार को उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

Supreme Court On SIR:राज्यों को निर्देश: BLO पर दबाव कम करने के उपाय

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि बीएलओ पर कार्यभार का दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई बीएलओ व्यक्तिगत कारणों से SIR कार्य को पूरा करने में सक्षम नहीं है, तो उसे उचित कारणों की स्थिति में राहत दी जाए और उसकी जगह पर किसी अन्य कर्मचारी को नियुक्त किया जाए। इस फैसले के जरिए कोर्ट ने बीएलओ के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का भी ध्यान रखने की आवश्यकता जताई है।

BLOs की आत्महत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में लाया गया

SIR कार्य के दौरान बीएलओ की आत्महत्या की घटनाओं का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लाया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट को बताया कि अब तक 35 से 40 बीएलओ की आत्महत्या की जानकारी प्राप्त हुई है, जिनमें अधिकांश आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट के तहत, जिन कर्मचारियों ने समय सीमा का पालन नहीं किया, उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। यूपी में इस प्रक्रिया से संबंधित 50 एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट में अधिकारियों का दबाव और उचित समय की मांग

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मुद्दा उठाया कि बीएलओ पर जो दबाव डाला जा रहा है, वह वाकई चिंताजनक है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि इतनी जल्दी यह प्रक्रिया क्यों पूरी की जा रही है और क्या इसे पर्याप्त समय नहीं दिया जाना चाहिए। इस पर CJI सूर्यकांत ने सवाल किया कि राज्य सरकारें इस मुद्दे पर क्यों नहीं आ रही हैं। यदि राज्य सरकारों को कोई कठिनाई हो रही है, तो वे स्पष्ट रूप से कोर्ट में क्यों नहीं आकर इसे बताएंगे।

चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया की शुरुआत और सुप्रीम कोर्ट की इस मामले में एंट्री, दोनों ही महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। कोर्ट ने राज्य सरकारों और चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया के दौरान बीएलओ की कठिनाइयों को हल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, राज्य सरकारों को इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम करने की चेतावनी भी दी गई है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकारें और चुनाव आयोग इस निर्देश को कितनी जल्दी लागू करते हैं और क्या बीएलओ के लिए इस प्रक्रिया को और सहज बनाने के उपाय किए जाते हैं।

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