Supreme Court on Stubble: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर कुछ किसानों को पराली जलाने के मामले में जेल भेजा जाए, तो इससे एक सख्त और स्पष्ट संदेश जाएगा कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने पराली जलाने से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान दी।
पराली जलाना: गंभीर पर्यावरणीय संकट
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली-NCR में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर है। हर साल सर्दियों के दौरान पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे राजधानी और आस-पास के इलाकों की हवा जहरीली हो जाती है। अदालत ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और अगर इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई करनी पड़े, तो उसमें कोई हिचक नहीं होनी चाहिए।
“हर किसी को नहीं, लेकिन संदेश देना जरूरी” -CJI
वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने अदालत के सामने दलील दी कि पहले भी कई किसानों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन वे सभी छोटे और सीमांत किसान थे। उनके पास सीमित संसाधन हैं और जेल भेजे जाने से उनके परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ जाती है।इस पर मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अदालत सभी किसानों की गिरफ्तारी की वकालत नहीं कर रही है, लेकिन अगर कुछ मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाती है, तो इससे बाकी किसानों को नसीहत मिलेगी। उन्होंने कहा, “अगर पर्यावरण बचाना हमारी प्राथमिकता है, तो दंडात्मक कार्रवाई से पीछे क्यों हटना?”
पराली से बनेगा बायो-फ्यूल
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एक महत्वपूर्ण बिंदु उठाया कि पराली को जलाने के बजाय बायो-फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अखबारों में छपी रिपोर्टों के अनुसार पराली से फ्यूल बनाना जटिल प्रक्रिया नहीं है और सरकार को इस दिशा में तेज़ी से काम करना चाहिए।
सब्सिडी और उपकरणों के बावजूद समस्या बरकरार
मामले में एमाइकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार किसानों को पराली न जलाने के लिए उपकरण और सब्सिडी मुहैया करवा रही है। कॉर्पोरेट किसानों को 80% और व्यक्तिगत किसानों को 50% तक की सब्सिडी दी गई है। बावजूद इसके, कई इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं जारी हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि सब्सिडी का प्रभाव कितना है।
सुप्रीम कोर्ट की अंतिम चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि सरकारें जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती हैं, तो अदालत खुद आदेश जारी करेगी। CJI ने कहा, “2018 से अब तक इस मुद्दे पर कई आदेश पारित हो चुके हैं, लेकिन जमीन पर स्थिति में कोई मौलिक बदलाव नहीं दिख रहा है।”एएसजी भाटी ने अदालत से निवेदन किया कि पहले सरकार की रिपोर्ट आने दी जाए, जिस पर अदालत ने अगले हफ्ते सुनवाई के लिए सहमति दी।
सुप्रीम कोर्ट का यह रुख बताता है कि अब पर्यावरणीय अपराधों को हल्के में नहीं लिया जाएगा। पराली जलाने पर कड़ी कार्रवाई और व्यवहारिक समाधान के बीच संतुलन बनाना ही इस संकट से निकलने का रास्ता है। किसानों को सम्मान देना जितना जरूरी है, वायु प्रदूषण को रोकना उतना ही अनिवार्य।
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