Tamil Nadu Liquor Scam: तमिलनाडु शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, ED से जवाब मांगा

तमिलनाडु शराब घोटाला (TASMAC) केस में सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा, "क्या जांच एजेंसी राज्य पुलिस की शक्तियों में दखल नहीं दे रही?" CJI की बेंच ने संघीय ढांचे पर असर को लेकर चिंता जताई। ED ने ₹1000 करोड़ के घोटाले में TASMAC मुख्यालय पर छापे मारे थे।

Chandan Das
SC ED

Tamil Nadu Liquor Scam: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु में हुए ₹1,000 करोड़ के शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सुनवाई कर रही बेंच के न्यायमूर्ति बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन ने जांच एजेंसी से पूछा “क्या यह राज्य पुलिस की शक्तियों में हस्तक्षेप नहीं है? क्या इस तरह की कार्रवाई से देश के संघीय ढांचे पर असर नहीं पड़ेगा?”

क्या है मामला?

यह मामला तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TASMAC) से जुड़ा है, जो राज्य सरकार के अधीन शराब की बिक्री और वितरण का काम करती है। मार्च 2025 में ED ने आरोप लगाया था कि इस सरकारी संस्था में शराब की बोतलों की कीमतों में अनियमित बढ़ोतरी, टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी और बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी हुई है। एजेंसी ने चेन्नई स्थित TASMAC मुख्यालय समेत कई ठिकानों पर छापे मारे और अहम दस्तावेज़, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए।

राज्य सरकार ने जताया था विरोध

तमिलनाडु सरकार और TASMAC ने ED की कार्रवाई को “संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन” करार देते हुए मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था। सरकार का कहना था कि यह मामला राज्य का विषय है और ED को इसमें हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि, हाईकोर्ट ने एजेंसी को जांच जारी रखने की अनुमति दी थी।

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। अदालत ने कहा:“अगर राज्य पुलिस इस मामले की जांच कर सकती है तो ED की भूमिका क्या है? भ्रष्टाचार राज्य का विषय है। ऐसे में ED का हस्तक्षेप क्या संविधान के संघीय ढांचे को प्रभावित नहीं करेगा?” बेंच ने यह भी पूछा कि क्या ED बिना प्राथमिकी और राज्य की सहमति के सीधे कार्रवाई कर सकती है?

ED का पक्ष

ED की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि यह मामला केवल राज्य के अधिकार क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत अपराध शामिल हैं, जो कि केंद्रीय जांच के दायरे में आते हैं। एजेंसी का कहना है कि शराब घोटाले की राशि का उपयोग अन्य अवैध गतिविधियों में किया गया, जिससे यह मामला PMLA के अंतर्गत आता है।

अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मामले में अंतिम आदेश पारित नहीं किया है। कोर्ट ने केंद्र और ED को विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी।तमिलनाडु शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के बंटवारे को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दे सकती है। सवाल सिर्फ जांच की नहीं, बल्कि संघीय ढांचे की गरिमा बनाए रखने का भी है।

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