Lakhimpur Violence Case: लखीमपुर खीरी के तिकुनिया हिंसा मामले में एक बार फिर बड़ी प्रगति हुई है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद पुलिस ने पूर्व गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह मुकदमा हिंसा से जुड़े गवाहों को धमकाने के मामले में दर्ज किया गया है, जो जांच में एक अहम मोड़ माना जा रहा है।
गवाह को धमकाने के आरोप में मुकदमा दर्ज
पढ़ुआ थाना पुलिस ने इस मामले में कुल चार लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 195A (गवाहों को धमकाना), 506 (धमकी), और 120B (साजिश) के तहत केस दर्ज किया है। मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के साथ पूर्व मंत्री अजय मिश्रा टेनी, उनके खास सहयोगी अमनदीप सिंह और एक अज्ञात व्यक्ति इस केस में शामिल हैं। पुलिस की इस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अंजाम दिया गया है, जिससे मामले में न्याय प्रक्रिया और अधिक सुदृढ़ होगी।
तिकुनिया हिंसा की पृष्ठभूमि
3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में हुई हिंसा में चार किसानों सहित एक स्थानीय पत्रकार की हत्या हो गई थी। यह घटना तब हुई जब किसानों का प्रदर्शन सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा था। आरोप है कि आशीष मिश्रा और उनके समर्थकों ने फायरिंग की और गाड़ी से किसानों को रौंदते हुए निकल गए। इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश में तहलका मचा दिया था और किसानों के आंदोलन को नया स्वरूप दिया।
FIR और एसआईटी जांच के बाद खुलासा
घटना के अगले दिन 4 अक्टूबर 2021 को तिकुनिया थाने में आशीष मिश्रा समेत कई अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। बाद में राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया। SIT की जांच में यह बात सामने आई कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि पूर्व नियोजित साजिश के तहत की गई हत्या थी। जांच में इस बात का भी पता चला कि गवाहों को धमकाने की कोशिश की गई ताकि वे मामले में सही साक्ष्य न दे सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में कड़े निर्देश दिए हैं कि जांच में कोई भी पक्षपाती रवैया न अपनाया जाए और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। कोर्ट ने कहा है कि कानून के बाहर कोई भी नहीं है और न्याय को पूरी तरह से सशक्त बनाना होगा। इसी के तहत पुलिस ने गवाहों को धमकाने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिससे सख्त संदेश भी गया है।लखीमपुर हिंसा मामले में अब न्याय मिलने की उम्मीद और मजबूत हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही जांच से स्पष्ट होगा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला किसानों के अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। आने वाले समय में इस केस की सुनवाई पूरे देश की निगाहों में रहेगी।

