पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीमकोर्ट की फटकार,भ्रामक विज्ञापन दिखाने पर अपनाया सख्त रुख

Mona Jha

Patanjali Ayurveda : पतंजलि की एलोपैथिक दवाएं और टीकाकरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई जिसमें टीकाकरण और ऐलोपैथिक दवाओ को पतंजलि आयुर्वेदिक बताने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख दिखाते हुए पंतजलि को फटकार लगाई है.सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ कार्यवाही करते हुए कहा कि,आखिर पतंजलि खुद को आयुर्वेद कैसे कह सकती है कि उसकी चीजें रसायन आधारित दवाओं से बेहतर है?ऐलोपैथी के खिलाफ हो रहे विज्ञापनों पर पतंजलि आयुर्वेद पर सुप्रीम कोर्ट जमकर बरसा और सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से पूछा कि,आखिर कोर्ट के आदेश के बाद भी ये विज्ञापन लाने की उसकी हिम्मत कैसे हो गई।

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सुप्रीम कोर्ट क्यों हुआ पतंजलि से नाराज?

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी पतंजलि के खिलाफ कार्यवाही की थी और उसको ऐसे गलत दावों को करने के लिए रोक लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद पतंजलि आर्युवेद द्वारा विज्ञापन प्रकाशित करने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया.आज सुप्रीम कोर्ट मे जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह खुद कोर्ट में अखबार लेकर पहुंच गए और पतंजलि को विज्ञापन दिखाते हुए कहा कि,आखिर उसमें कोर्ट के आदेश के बाद भी ये विज्ञापन लाने का साहस कैसे आया?जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने पतंजलि आर्युवेद से स्पष्ट कहा कि,अब आप कोर्ट को अपने ही खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के लिए उकसा रहे हैं।

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पहले भी कोर्ट ने पतंजलि को लगाई थी फटकार

आपको बता दें कि,पतंजलि पर इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक और गलत विज्ञापन करने के लिए रोक लगाई थी.कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी देते हुए कहा था कि,अगर वो ऐसा करेगा तो उसको भारी जुर्माना भरना पड़ेगा.सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के खिलाफ कार्यवाही के दौरान कहा था कि,यदि पतंजलि के द्वारा ये गलत दावा किया जाता है कि,किसी विशेष बीमारी को ठीक किया जा सकता है तो पीठ उसके हर प्रोडेक्ट्स पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है.जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव देने को कहा था.सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दाखिल की है।

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पतंजलि पर कोर्ट का सख्त आदेश

पतंजलि के खिलाफ दर्ज याचिका की सुनवाई पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि,हम एक बहुत सख्त आदेश पारित करने जा रहे हैं,आप ये कैसे कह सकते हैं कि,आप बीमारी को ठीक कर देंगे? हमारी चेतावनी के बावजूद भी आप कह रहे कि,हमारी चीजें रसायन आधारित दवाओं से बेहतर हैं…..आगे उन्होने ये भी कहा कि,केंद्र सरकार को भी इस पर एक्शन लेना चाहिए.सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के वकीलों को उनके विज्ञापन देखने को कहा है।

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