Surya Tilak Ram Mandir: अयोध्या में रामनवमी के अवसर पर एक ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब भगवान रामलला के माथे पर सूर्य तिलक किया गया। यह धार्मिक आयोजन रविवार, 4 अप्रैल 2025 को दोपहर 12 बजे हुआ, जिससे श्रद्धालुओं में अपार श्रद्धा और उल्लास का माहौल था। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने पहले ही सोशल मीडिया पर इस आयोजन की जानकारी दी थी। अनुमान था कि 20 से 30 लाख श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचेंगे।
सुरक्षा व्यवस्था और यातायात में चाक-चौबंद इंतजाम
अयोध्या में इस ऐतिहासिक अवसर पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था की चाक-चौबंद तैयारी की थी। साथ ही, गर्मी से बचाव के लिए जल का छिड़काव भी किया गया। श्रद्धालुओं पर सरयू जल का छिड़काव किया गया, जिससे वातावरण में ठंडक और शुद्धता बनी रही। प्रशासन ने आयोजन को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए थे।
श्रीराम जन्मोत्सव का लाइव प्रसारण
रामनवमी के दिन अयोध्या में श्रीराम जन्मोत्सव के लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई। सूचना विभाग ने प्रमुख स्थानों पर फिक्स एलईडी और डिस्प्ले बोर्ड लगाए, जिससे दूर-दूर से आए श्रद्धालु रामनवमी का प्रसारण देख सकें। दूरदर्शन द्वारा भी लाइव लिंक जारी किया गया, जिससे अयोध्या न पहुंच पाने वाले श्रद्धालुओं को भी इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनने का मौका मिला।
सूर्य तिलक का महत्व और धार्मिक परंपरा
सूर्य तिलक एक पुरानी और धार्मिक परंपरा है, जिसका उल्लेख पौराणिक कथाओं में किया गया है। त्रेतायुग में जन्मे भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे, इसलिए उन्हें सूर्य तिलक किया जाता है। इस दौरान सूर्य देव स्वयं भगवान राम के मस्तक पर सूर्य तिलक करते हैं, जो भगवान राम के प्रति श्रद्धा और आस्था का प्रतीक माना जाता है।
सीएम योगी के निर्देशन में अखंड रामचरितमानस पाठ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, राज्य के सभी जिलों में चैत्र नवरात्रि के दौरान श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ किया गया था। यह पाठ शनिवार, 3 अप्रैल को शुरू हुआ और रविवार, 4 अप्रैल को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला के सूर्य तिलक के साथ इसकी पूर्णाहुति हुई। यह धार्मिक आयोजन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्यभर में धार्मिक एकता और आस्था को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम था।
अयोध्या में रामनवमी के दिन भगवान रामलला का सूर्य तिलक और श्रीराम जन्मोत्सव का आयोजन एक ऐतिहासिक और दिव्य क्षण था। श्रद्धालुओं की अपार भीड़, प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था और धार्मिक आयोजनों ने अयोध्या को एक विशेष आस्था का केंद्र बना दिया।