Suvendu Adhikari: पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि राज्य में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के दूसरे चरण की निगरानी केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा की जाए। उन्होंने पत्र में कहा कि SIR के इस महत्वपूर्ण चरण में माइक्रो ऑब्जर्वर्स की तैनाती की जानी चाहिए, जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारी हों। इसके अलावा, उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस प्रक्रिया का स्क्रूटनी और सुनवाई चरण पूरी तरह से CCTV के माध्यम से कवर किया जाए।
Suvendu Adhikari: SIR की प्रक्रिया और उसकी अहमियत
पश्चिम बंगाल समेत देश के अन्य नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत मतदाता सूची में सुधार, जोड़-तोड़ और रद्द किए गए नामों की जांच की जाती है। इस साल, फॉर्म भरने की प्रक्रिया 14 फरवरी तक चलेगी, उसके बाद स्क्रूटनी और सुनवाई की प्रक्रिया होगी। सुवेंदु अधिकारी का मानना है कि SIR का दूसरा चरण इस प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा है, क्योंकि इस चरण से ही यह तय होगा कि अंतिम चुनावी रोल निष्पक्ष, सही और किसी भी प्रकार की धांधली से मुक्त रहेगा या नहीं।
Suvendu Adhikari: सुवेंदु अधिकारी ने SIR के दूसरे चरण में दखलंदाजी की चिंता जताई
सुवेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग को पत्र में बताया कि उन्हें SIR के इस दूसरे चरण में दखलंदाजी की कई गंभीर रिपोर्ट मिल रही हैं, जो इस प्रक्रिया की निष्पक्षता और विश्वसनीयता को खतरे में डाल सकती हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि इस प्रकार की दखलंदाजी को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं, ताकि SIR की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे।
सुवेंदु अधिकारी ने पत्र में लिखा कि SIR के इस दूसरे चरण की निगरानी माइक्रो ऑब्जर्वर्स द्वारा की जानी चाहिए, और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये माइक्रो ऑब्जर्वर्स केवल केंद्रीय सरकार के कर्मचारी ही हों। उनका मानना है कि इससे प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहेगी। साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस चरण के सभी क्रियाकलापों को CCTV के जरिए रिकॉर्ड किया जाए और SIR के समापन तक सभी फुटेज को सुरक्षित रखा जाए।
ट्रांसपेरेंसी और न्यूट्रैलिटी बनाए रखने की जरूरत
सुवेंदु अधिकारी ने इस पत्र में यह स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही या समझौता चुनावी रोल की सत्यता और अखंडता को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह SIR के दूसरे चरण में पूरी तरह से ट्रांसपेरेंसी, न्यूट्रैलिटी और सख्त मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द हस्तक्षेप करे।
टीएमसी और बीजेपी के बीच SIR को लेकर राजनीति
पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच सियासी घमासान छिड़ गया है। जहां बीजेपी का दावा है कि SIR से राज्य में मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित की जा सकती है और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर किया जा सकता है, वहीं टीएमसी इस प्रक्रिया का विरोध कर रही है। टीएमसी का आरोप है कि SIR को लेकर बीजेपी की यह रणनीति केवल वोट बैंक को प्रभावित करने और राजनीतिक फायदे के लिए बनाई गई है।
SIR पर सियासी विवाद जारी
पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर जारी विवाद ने राज्य की राजनीति को और गर्मा दिया है। जहां बीजेपी इस प्रक्रिया को राज्य की मतदाता सूची को शुद्ध करने का एक अहम उपाय मान रही है, वहीं टीएमसी इसे राजनीतिक विरोध और राज्य में असंतोष फैलाने का एक तरीका मानती है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस विवादित मुद्दे पर कैसे कदम उठाता है और क्या SIR की प्रक्रिया राज्य की राजनीति को और अधिक प्रभावित करती है।
