Taiwan President On Trump: ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि ट्रंप चीन को ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई छोड़ने के लिए मना लें, तो उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना ही चाहिए। इस बयान के साथ एक बार फिर ताइवान-चीन विवाद और अमेरिका की भूमिका वैश्विक मंच पर चर्चा में आ गई है।
अमेरिकी शो में दिया बयान
राष्ट्रपति लाई ने यह टिप्पणी एक लोकप्रिय अमेरिकी रेडियो शो ‘द क्ले ट्रैविस एंड बक सेक्सटन शो’ में बातचीत के दौरान की। उन्होंने कहा, “अगर राष्ट्रपति ट्रंप चीन को ताइवान पर किसी भी तरह का सैन्य हमला छोड़ने के लिए राजी कर लेते हैं, तो वह निश्चित रूप से नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार होंगे।”
ट्रंप और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में ताइवान को लेकर भी चर्चा संभव है। ट्रंप पहले भी दावा कर चुके हैं कि उनके राष्ट्रपति रहते हुए चीन ताइवान पर हमला नहीं करेगा, क्योंकि शी जिनपिंग ने उन्हें यह आश्वासन दिया था।
ताइवान पर अमेरिका की नीति अस्पष्ट
राष्ट्रपति लाई ने यह भी कहा कि ताइवान को लेकर अमेरिका की नीति अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। अमेरिका कानूनन ताइवान को रक्षा उपकरण देने के लिए बाध्य है, लेकिन यह साफ नहीं है कि यदि चीन हमला करता है, तो अमेरिका सैन्य रूप से करेगा या नहीं।लाई ने कहा, “चीन की सैन्य गतिविधियां केवल ताइवान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा हैं। ताइवान पर कब्ज़े के बाद चीन की ताकत और बढ़ेगी और वह वैश्विक मंच पर अमेरिका को चुनौती देने की स्थिति में होगा।”
ट्रंप पहले भी जता चुके हैं नोबेल की इच्छा
डोनाल्ड ट्रंप पहले भी कई बार नोबेल शांति पुरस्कार पाने की अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं। उनका कहना है कि उन्होंने इजरायल-अरब देशों के बीच शांति समझौते, उत्तर कोरिया के साथ बातचीत और कई अंतरराष्ट्रीय संकटों को हल करने में भूमिका निभाई है।इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार को नॉर्वे में की जाएगी।ताइवान के राष्ट्रपति का यह बयान वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, जहां ट्रंप को एक शांति-दूत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह बयान न केवल ट्रंप के लिए राजनीतिक समर्थन का संकेत है, बल्कि ताइवान की चीन से बढ़ती चिंता को भी दर्शाता है। अब यह देखना होगा कि ट्रंप और शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात ताइवान संकट को कम कर पाती है या नहीं।
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