Tamil Nadu Fishermen: श्रीलंकाई नौसेना द्वारा मंगलवार को तमिलनाडु के 14 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किए जाने से भारत-श्रीलंका के बीच फिर से तनाव गहरा गया है। नौसेना ने मछुआरों की नावों को भी जब्त कर लिया है। श्रीलंका का दावा है कि मछुआरे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा पार कर उनके क्षेत्र में घुस आए थे। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब पहले ही सीमा पार मछली पकड़ने को लेकर विवाद चल रहा है।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने दिखाई तत्परता, जयशंकर को लिखा पत्र
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस घटना को गंभीर बताते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखा है। उन्होंने गिरफ्तार मछुआरों की तत्काल रिहाई और जब्त नौकाओं को वापस लाने के लिए राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में स्टालिन ने यह भी आग्रह किया है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को श्रीलंका के समक्ष मजबूती से उठाए। पिछले सप्ताह भी श्रीलंकाई नौसेना ने रामेश्वरम के चार मछुआरों को गिरफ्तार किया था। बताया गया कि लगभग 400 मछुआरे 88 नावों के साथ समुद्र में उतरे थे, जब थलाइमन्नार और धनुषकोटि के बीच मछली पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई गश्ती जहाजों ने उन्हें घेर लिया। तब चार मछुआरों को हिरासत में ले लिया गया था और नावें जब्त कर ली गई थीं।
जनवरी 2025 से अब तक 185 मछुआरे गिरफ्तार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 से अब तक कम से कम 185 भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई नौसेना द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें कई नावें भी जब्त की जा चुकी हैं, जिनकी वापसी महीनों बाद या कभी-कभी नहीं हो पाती। इससे तमिलनाडु के मछुआरों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
राजनीतिक दबाव और समाधान की जरूरत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा विवाद को स्थायी समाधान की जरूरत है। बार-बार हो रही गिरफ्तारियों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ सकता है। केंद्र सरकार पर दबाव है कि वह श्रीलंका से उच्चस्तरीय वार्ता करके मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए कदम उठाए। तमिलनाडु के मछुआरे सालों से सीमावर्ती समुद्र में अपने पारंपरिक fishing grounds तक पहुँचने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। श्रीलंका की सख्ती और बार-बार होने वाली गिरफ्तारियों से उनका जीवनयापन प्रभावित हो रहा है। मुख्यमंत्री स्टालिन का केंद्र को पत्र लिखना इस मुद्दे पर राज्य की संवेदनशीलता और मछुआरों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार किस तरह की कूटनीतिक पहल करती है।
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