Tamil Nadu Politics : तमिलनाडु में अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपना रणनीति को लेकर अभी से संभावित चुनावी गणित को समझने के लिए जमिन तैयार किया जा रहा है। जयललिता की पार्टी AIADMK ने विधानसभा चुनाव के10 महीने पहले ही भाजपा को बड़ी चेतावनी दे दिया है। वर्तमान AIADMK प्रमुख ई. पलानीस्वामी ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन में कोई समस्या नहीं है। लेकिन चुनाव के बाद अगर जीत मिली तो AIADMK ही सरकार बनाएगी। भाजपा सरकार में शामिल नहीं होगी। उनका दावा है कि AIADMK एक दल के रूप में स्वतंत्र रूप से सरकार बनाएगी।
AIADMK का ऐलान
आपको बता दें कि 1998 में जब जयललिता मुख्यमंत्री थी। तब भाजपा का AIADMK पार्टी के साथ गठबंधन था। तब से जयललिता की पार्टी NDA की सहयोगी रही है। हालांकि यह लंबे समय से चला आ रहा रिश्ता 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही खत्म हो गया था। 21वें विधानसभा चुनाव में हार के बाद AIADMK ने सितंबर 2023 में भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया। 26वें विधानसभा चुनाव से पहले दोनों खेमों ने फिर से गठबंधन कर लिया है। भाजपा के साथ गठबंधन करने पर अन्नाद्रमुक को भी खूब ताने सुनने पड़े हैं। द्रमुक सुप्रीमो MK स्टालिन ने कहा है कि इस बार अन्नाद्रमुक को भाजपा का गुलाम बनकर रहना पड़ेगा।
स्टालिन को जवाब
शायद स्टालिन के इसी तंज के जवाब में पलानीस्वामी ने पहले ही ऐलान कर दिया कि “भाजपा के साथ हमारा गठबंधन सिर्फ़ विधानसभा चुनावों के लिए है। चुनाव के बाद हम स्वतंत्र रूप से सरकार बनाएंगे। मैं ख़ुद फ़ैसला लूंगा। और मैं ही मुख्यमंत्री बनूंगा।” पलानीस्वामी का कहना है कि भाजपा का इस्तेमाल चुनाव के लिए किया गया है। सत्ता में उसकी कोई भागेदारी नहीं होगी। दरअसल तमिल राजनीति में राष्ट्रीय दलों को हाशिए पर रखना एक परंपरा बन गई है। हालांकि स्टालिन जिस सरकार में हैं उसमें कांग्रेस का समर्थन है लेकिन कांग्रेस को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। इसी तरह जयललिता की पार्टी भविष्य में भाजपा को जगह नहीं देगी।
स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है कि अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करके भाजपा को क्या हासिल हुआ? कुछ दिन पहले तक भाजपा तमिलनाडु में एकछत्र सत्ता हासिल करने का सपना देख रही थी। लेकिन अब भाजपा उस तमिल भूमि में जूनियर पार्टनर है।

