Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में राजनीति के नए समीकरण लगातार बन रहे हैं। इसी कड़ी में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने शुक्रवार (7 नवंबर) को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि 14 तारीख को जनता जिसको चुनेगी, हम उसी का समर्थन करेंगे, चाहे वह कोई भी हो। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है और सभी की निगाहें 14 नवंबर के चुनावी नतीजों पर टिकी हैं।
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तेज प्रताप यादव का बयान
बताते चले कि, तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने कहा कि इस बार बिहार की जनता बदलाव चाहती है और 14 नवंबर को यह बदलाव साफ दिखाई देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता का निर्णय ही बिहार के भविष्य को तय करेगा। तेज प्रताप ने कहा, “मैं उसी का साथ दूंगा जो असली मुद्दों पर बात करेगा, रोजगार पैदा करेगा, पलायन रोकेगा और किसानों की समस्याओं का समाधान करेगा।”
‘राजनीति जनता के लिए, किसी के खिलाफ नहीं’
तेज प्रताप (Tej Pratap Yadav) ने स्पष्ट किया कि उनकी राजनीति किसी व्यक्ति या दल के विरोध में नहीं है। उनका मकसद केवल जनता की आवाज बनना है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य सत्ता में आना नहीं है, बल्कि जनता के हक के लिए काम करना है। जो भी दल या नेता जनता के हित में काम करेगा, मैं उसका समर्थन करूंगा।”
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एनडीए में शामिल होने का दिया संकेत ?
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह बयान एनडीए में शामिल होने का संकेत है, तो तेज प्रताप ने जवाब दिया कि राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते। उन्होंने कहा कि अगर कोई दल बहुमत लेकर आता है और जनता के लिए काम करने का वादा करता है, तो वह उसका समर्थन करेंगे। लेकिन यह समर्थन शर्तों और केवल जनता के विकास के लिए होगा।
जनता सबसे बड़ी ताकत
तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने अंत में कहा कि जनता ही सबसे बड़ी ताकत है। 14 नवंबर को ही यह तय होगा कि बिहार का भविष्य कौन संभालेगा। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा जनता के फैसले के साथ रहूंगा।”इस बयान से तेज प्रताप यादव ने खुद को ‘जनता समर्थक’ नेता के रूप में पेश करने की कोशिश की है। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि वे दल से ऊपर उठकर बिहार के हित की राजनीति कर रहे हैं।
राजनीतिक हलचल और गठबंधन रणनीति
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप का यह बयान बिहार की सियासत में नई हलचल ला सकता है। यह न केवल एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए मायने रखता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि चुनावी नतीजों के बाद गठबंधन की राजनीति किस दिशा में जाएगी।
