Tejashwi Yadav 2 EPIC Number: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सियासत का पारा चढ़ गया है. राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत जारी की गई ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के बाद नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर दो अलग-अलग वोटर ID (EPIC नंबर) रखने का गंभीर आरोप लगा है. इस मुद्दे ने न केवल चुनाव आयोग और तेजस्वी यादव को आमने-सामने ला खड़ा किया है, बल्कि बीजेपी और जेडीयू को भी तेजस्वी पर निशाना साधने का मौका दे दिया है.
चुनाव आयोग ने भेजे दो नोटिस, मांगा स्पष्टीकरण
बताते चले कि, तेजस्वी यादव पर लगे आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। चुनाव आयोग ने उन्हें दो बार नोटिस भेजकर उनके पास मौजूद दोनों EPIC नंबरों की जानकारी मांगी है। साथ ही, 8 अगस्त 2025 तक जवाब देने और दोनों वोटर ID की कॉपी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। आयोग ने सवाल उठाया है कि यदि एक EPIC नंबर 2015 और 2020 के चुनावी हलफनामों में दर्ज है, तो दूसरा नंबर कहां से आया?
तेजस्वी यादव का पलटवार
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल पटना जिला निबंधन कार्यालय की ओर से पत्र आया है, जिसका जवाब वे देंगे। तेजस्वी ने दावा किया कि वर्षों से वे एक ही जगह वोट देते आ रहे हैं और अगर कोई गलती है तो वह चुनाव आयोग की तकनीकी लापरवाही है, न कि उनकी।
बिहार के दीघा थाना क्षेत्र में एक स्थानीय नागरिक ने तेजस्वी यादव के खिलाफ दो EPIC नंबर रखने की शिकायत दर्ज कराई है। यदि जांच में यह साबित होता है कि तेजस्वी ने जानबूझकर दो वोटर ID रखीं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। भारत के कानून के तहत किसी भी व्यक्ति के पास दो EPIC नंबर रखना अवैध है।
EPIC नंबरों को लेकर दोनों पक्षों के दावे
तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में EPIC नंबर RAB2916120 दिखाया था, जो चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं मिला। वहीं, आयोग का दावा है कि EPIC नंबर RAB0456228 ही आधिकारिक रूप से मान्य है, जो कि उनके रिकॉर्ड में दर्ज है और ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में तेजस्वी का नाम इसी नंबर से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि दूसरा नंबर आखिर कहां से आया।
राजनीतिक नुकसान की आशंका, RJD की चिंता बढ़ी
अगर तेजस्वी यादव पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो यह RJD के लिए चुनाव से पहले बड़ा झटका साबित हो सकता है। तेजस्वी की राजनीतिक छवि पर भी असर पड़ सकता है, जो पार्टी के लिए नुकसानदायक होगा। अब सबकी निगाहें 8 अगस्त को आने वाले तेजस्वी के जवाब और चुनाव आयोग की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
बिहार की राजनीति में यह मामला एक नए विवाद का रूप ले चुका है। EPIC नंबर विवाद जहां प्रशासनिक दृष्टि से गंभीर है, वहीं इसका राजनीतिक असर भी गहरा होने वाला है। अब देखना यह होगा कि तेजस्वी यादव अपना पक्ष किस तरह रखते हैं और क्या चुनाव आयोग की जांच में वह निर्दोष साबित हो पाते हैं या नहीं।

