SIR Irregularities: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने SIR (Special Summary Revision) प्रक्रिया में धांधली और वोट चोरी को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। तेजस्वी ने यह भी दावा किया कि मुजफ्फरपुर की मेयर निर्मला देवी और उनके परिवार के पास एक ही विधानसभा क्षेत्र से दो-दो वोटर आईडी (EPIC) हैं, जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
SIR प्रक्रिया पर उठाए सवाल
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि SIR प्रक्रिया में भारी लापरवाही हुई है और यह सिर्फ प्रशासनिक भूल नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई वोट की डकैती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग अब तक इस पूरे मामले में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाया है। तेजस्वी ने कहा, “2020 के विधानसभा चुनाव में भी हमारे साथ वोट चोरी की गई थी। हम कई सीटों पर बेहद कम अंतर से हारे थे। आज हम एक और बड़ा खुलासा कर रहे हैं, जिसमें भाजपा नेता निर्मला देवी और उनके देवरों के पास दो-दो वोटर कार्ड हैं। एक ही क्षेत्र से दो EPIC नंबर कैसे जारी हो सकते हैं?”
भाजपा पर साधा निशाना
तेजस्वी यादव ने बताया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा, “कल जिनके नाम SIR सूची में मृतक के तौर पर दर्ज थे, उन्हें कोर्ट में जिंदा पेश किया गया। यह साफ दर्शाता है कि वोटर लिस्ट में जानबूझकर हेरफेर किया गया है।” तेजस्वी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “लोग सोचते हैं कि भाजपा हर बार चुनाव कैसे जीत जाती है। ये कोई जादू नहीं है, बल्कि सुनियोजित वोट चोरी का खेल है। पहले सीबीआई और ईडी का सहारा लिया जाता था, अब चुनाव आयोग को मोहरा बना लिया गया है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गुजरात के लोग बिहार में वोटर बन रहे हैं, जिनमें भाजपा प्रभारी भीखूभाई दलसानिया का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा, “उन्होंने 2024 में गुजरात में वोट दिया और अब पटना के वोटर बन गए हैं। यह कैसे संभव है?”
बिहार की राजनीति में नई हलचल
तेजस्वी यादव के आरोपों ने बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। अगर उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की गहराई से जांच होती है, तो यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर एक बड़ा सवाल बन सकता है। विपक्ष लगातार यह मुद्दा उठाता रहा है कि चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने में आयोग असफल हो रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।