Tejashwi Yadav SIR : नेता प्रतिपक्ष और राजद के प्रमुख तेजस्वी यादव द्वारा मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर लगाए गए गंभीर आरोपों को चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है। आयोग ने इन आरोपों को ‘भ्रामक और तथ्यहीन’ बताते हुए कहा कि तेजस्वी द्वारा जो उदाहरण पेश किए गए, उनकी जांच में वे आरोप पूरी तरह गलत साबित हुए हैं। आयोग ने कहा कि इस तरह के भ्रामक दावे निर्वाचन प्रक्रिया की पवित्रता और लोकतंत्र की आधारशिला को कमजोर करते हैं।
दो मुख्य उदाहरणों की जांच में आरोप फेल
तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो प्रमुख घटनाओं का हवाला दिया था, जिन्हें उन्होंने SIR प्रक्रिया की गंभीर अनियमितताओं के रूप में पेश किया। पहली घटना पटना के कृष्णा घाट के पास एक फ्लाईओवर स्थल की थी, जहां उन्होंने कहा था कि गणना फॉर्म फेंके गए हैं। दूसरी घटना जमुई जिले के सोनो प्रखंड की थी, जहां एक वीडियो क्लिप और अखबार की कटिंग में बताया गया कि फॉर्म पर ‘जलेबी खाते हुए’ दिखाया गया। चुनाव आयोग ने इन दोनों मामलों की गहन जांच कर स्पष्ट किया कि ये आरोप निराधार हैं और तथ्यों से कोसों दूर हैं।
पटना प्रशासन की जांच में नहीं मिला कोई ठोस सबूत
पटना जिला प्रशासन ने कृष्णा घाट फ्लाईओवर पर विस्तृत जांच की, जिसमें कहीं भी गणना फॉर्म फेंके जाने या बिखरे मिलने की कोई पुष्टि नहीं हुई। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि वायरल वीडियो में दिखाई गई कागजात निर्वाचन फॉर्म नहीं थे, बल्कि अन्य प्रकार के कागजात थे। इस जांच से यह साबित हुआ कि वहां कोई गड़बड़ी नहीं हुई और फॉर्म सुरक्षित थे।
जमुई प्रशासन ने भी आरोपों को किया खारिज
जमुई जिला प्रशासन ने वायरल वीडियो और मीडिया रिपोर्ट की जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। सहायक निर्वाचक निबंधन अधिकारी, चकाई ने बताया कि जिस मतदान केंद्र का वीडियो वायरल हुआ था, वहां 1181 मतदाताओं में से 1134 के फॉर्म पहले ही ऑनलाइन अपलोड हो चुके थे। शेष फॉर्म भी वैध प्रक्रियाओं के तहत अपडेट किए गए हैं। मृत मतदाताओं और स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के आंकड़े भी प्रशासन के रिकॉर्ड में सही थे। प्रशासन ने साफ किया कि ‘फॉर्म पर जलेबी खाने’ जैसी खबरें सोशल मीडिया पर भ्रामक तरीके से फैलाई गईं और जांच में ऐसे कोई तथ्य सामने नहीं आए जो निर्वाचन प्रक्रिया में अनियमितता दर्शाते हों।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को दी नसीहत
इस पूरे मामले पर चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और नेताओं से अपील की है कि वे सार्वजनिक मंचों पर जिम्मेदारी और सतर्कता से बयान दें। बिना जांच-पड़ताल के अफवाहें फैलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और इससे मतदाता विश्वास भी कम होता है। आयोग ने कहा कि वे मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी झूठे प्रचार पर त्वरित कार्रवाई करेंगे।
तेजस्वी यादव दिया विवादित बयान
मतदाता सूची संशोधन को लेकर बिहार में महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक विवादित बयान भी दिया। जब उनसे चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के मतदाता सूची में शामिल होने की खबर पर सवाल किया गया, तो तेजस्वी ने आयोग के ‘सूत्रों’ को ‘मूत्र’ बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग खुद सामने आने की बजाय केवल सूत्रों के आधार पर खबरें फैलवा रहा है। तेजस्वी ने कहा कि यह वही ‘सूत्र’ हैं जो पहले भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा कर चुके हैं। इसलिए वे ऐसे सूत्रों को मूत्र यानी दुर्गंध फैलाने वाला अपशिष्ट पदार्थ मानते हैं।
राजनीतिक बयानबाजी ने बढ़ाई सियासी गर्माहट
तेजस्वी यादव के इस विवादित बयान के बाद बिहार की सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। चुनाव आयोग के बयान के साथ ही तेजस्वी का हमला और भी सुर्खियों में आ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनावों से पहले ऐसे बयान राजनीतिक माहौल को और ज्यादा गर्मा सकते हैं। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर जोर-शोर से अपनी-अपनी बात रख रहे हैं, जिससे मतदाता सूची संशोधन को लेकर विवाद की आग भड़क रही है।
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने का वादा करते हुए स्पष्ट किया है कि कोई भी झूठा आरोप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं राजनीतिक दलों के तीखे बयानों ने इस प्रक्रिया को राजनीतिक चश्मे से देखने की प्रवृत्ति को और बढ़ा दिया है। आने वाले समय में यह देखना होगा कि आयोग किस प्रकार से मतदाता सूची की शुद्धि के साथ-साथ राजनीतिक विवादों को भी संभालता है और चुनाव प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखता है।
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