Bihar Election 2025: चुनाव तारीखों का ऐलान होते ही लागू हुई आचार संहिता, इसके तहत किन-किन चीजों पर लगती है पाबंदी?

Aanchal Singh
Bihar Election 2025
Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: चुनाव आयोग (Election Commission) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Elections 2025) की तारीखों का ऐलान कर दिया है. विधानसभा चुनाव 2 चरणों में होंगे. 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान और 11 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा. 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. यह ऐलान ऐसे समय पर हुआ है जब एसआईआर (Special Intensive Revision) को लेकर आयोग विपक्ष के निशाने पर रहा है. 30 सितंबर को आयोग ने एसआईआर की अंतिम सूची जारी की थी, जिसमें कुल 7,41,92,357 मतदाता दर्ज हैं। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी।

Read More: Bihar Election 2025: ‘डील पक्की, मैं ही बनूंगा डिप्टी CM’सीट बंटवारे से पहले मुकेश सहनी ने ठोका दावा

क्या होती है आदर्श आचार संहिता और क्यों है ये जरूरी?

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, आदर्श आचार संहिता (Code of Conduct) एक ऐसा दिशानिर्देश है जो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए चुनाव के दौरान उचित आचरण सुनिश्चित करता है। यह सभी दलों की सहमति से तैयार किया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण बनाना होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को यह अधिकार प्राप्त है कि वह इस संहिता को लागू कर सके।

कब और कहां लागू होती है आचार संहिता?

चुनाव आयोग (Election Commission) के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और यह पूरी चुनाव प्रक्रिया के समाप्त होने तक प्रभावी रहती है। यदि लोकसभा चुनाव होते हैं तो यह पूरे देश में लागू होती है, वहीं विधानसभा चुनावों में केवल संबंधित राज्य तक सीमित रहती है।

राजनीतिक दलों और सत्ताधारी सरकारों पर क्या हैं प्रतिबंध?

चुनाव के दौरान मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार से नहीं जोड़ सकते। सरकारी संसाधनों का किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए उपयोग करना पूरी तरह वर्जित है। प्रधानमंत्री को इस मामले में विशेष छूट दी जाती है, लेकिन बाकी सभी पदाधिकारी और नेता इस संहिता के दायरे में आते हैं।

सरकारी वाहनों और मीडिया प्रचार पर भी लगती है रोक

कोई भी सरकारी वाहन किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रचार में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। सरकारी खर्चे पर अखबारों, टीवी या डिजिटल माध्यम में किसी भी तरह का विज्ञापन देना या उपलब्धियों को प्रचारित करना प्रतिबंधित होता है। सरकारी होर्डिंग, पोस्टर, बैनर को तुरंत हटाना होता है।

नए काम शुरू करने पर भी रोक

अगर चुनाव से पहले किसी योजना का काम शुरू नहीं हुआ है तो अब वह शुरू नहीं किया जा सकता। केवल पहले से चल रहे काम ही जारी रह सकते हैं। उदाहरण के लिए, इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत कोई नया निर्माण नहीं किया जाएगा और न ही किसी को नई स्वीकृति दी जाएगी।

Read More: Bihar Election 2025: चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले बुर्का विवाद ने बढ़ाई राजनीतिक बहस, मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने दिया बड़ा बयान

नई नियुक्तियों पर रोक

सरकार की योजनाओं जैसे मनरेगा, एसजीआरवाई आदि में भी चुनाव आयोग की गाइडलाइन लागू होती है। इन योजनाओं में नए जिलों को जोड़ने या नई स्वीकृतियां देने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही, सरकारी या निजी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की तदर्थ नियुक्ति पर भी रोक लगा दी जाती है।

चुनाव प्रचार में भी कई सख्त निर्देश

चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे धार्मिक, भाषायी या जातिगत आधार पर कोई अपील न करें। किसी दल या नेता की आलोचना केवल उनकी नीतियों और कार्यक्रमों तक सीमित होनी चाहिए, न कि उनकी व्यक्तिगत जिंदगी तक।

चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि को प्रचार मंच के रूप में उपयोग करना सख्त मना है। साथ ही, जाति, धर्म या संप्रदाय के आधार पर वोट की अपील करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।

भ्रष्ट आचरण और आपराधिक गतिविधियों से बचने के निर्देश

चुनावों के दौरान मतदाताओं को डराना, लालच देना, हमशक्ल वोटर से वोटिंग कराना या मतदान केंद्र से 100 मीटर के दायरे में प्रचार करना अपराध की श्रेणी में आता है। मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने-ले जाने के लिए वाहन व्यवस्था भी निषिद्ध है।

किसी भी प्रकार की रैली, जुलूस या जनसभा के लिए संबंधित प्रशासन से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। किसी की निजी संपत्ति या सार्वजनिक दीवारों पर झंडा, पोस्टर, नारा आदि बिना अनुमति नहीं लगाया जा सकता।राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके समर्थक अन्य दलों की सभाओं और जुलूसों में कोई बाधा न डालें। एक पार्टी द्वारा लगाए गए पोस्टर या झंडों को दूसरी पार्टी के कार्यकर्ता हटाएं, यह संहिता का उल्लंघन माना जाता है।

स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक मैदानों के इस्तेमाल पर भी स्पष्ट निर्देश

राजनीतिक प्रचार के लिए स्कूल और कॉलेज के मैदानों का उपयोग नहीं किया जा सकता (पंजाब और हरियाणा को छोड़कर, जहां विशेष अदालत का आदेश है)। सार्वजनिक संपत्ति पर पोस्टर लगाने के लिए स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

प्रचार बंद होने के बाद सख्त प्रतिबंध

चुनाव प्रचार समाप्त होने के 48 घंटे के भीतर कोई भी प्रचार सामग्री टीवी, सिनेमा या किसी अन्य माध्यम से प्रसारित नहीं की जा सकती। इसके अलावा, प्रचार बंद होने के बाद बाहरी राजनीतिक पदाधिकारियों को चुनाव क्षेत्र छोड़ना अनिवार्य होता है।

हथियारों और ट्रांसपोर्ट पर भी रोक

मतदान के दिन मतदान केंद्र से 100 मीटर की परिधि में किसी भी तरह का प्रचार पूरी तरह से वर्जित है। कोई भी व्यक्ति मतदान केंद्र के आसपास हथियार लेकर नहीं घूम सकता। मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने-ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था करना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की घोषणा के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। यह संहिता चुनावों को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए अहम भूमिका निभाती है. अब सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को इस संहिता के नियमों का पालन करते हुए चुनावी मैदान में उतरना होगा।

Read More: Bangladesh Durga Puja Controversy: बांग्लादेश में दुर्गापूजा मंडपों में असुर के मुहं पर दाढ़ी लगाने पर जांच का आदेश,  प्रशासन की सख्त चेतावनी

Share This Article

अपना शहर चुनें

Exit mobile version