VP Election: देश की राजनीति में उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी दांव – पेंच चल रहा है। जिसको लेकर राजनैतिक खेल शुरू हो गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए रणनीति बना रहे है। दोनों ही दल एक-दूसरे को चुनौती देने के लिए रोज नई-नई रणनीति अपना रहे हैं। सत्ता पक्ष को खेल की शुरुआत से ही समझ आ गया है कि इस बार जीत आसानी से नहीं मिलेगी। विपक्ष पहले से ज्यादा संगठित के साथ एकता भी है । इसके अलावा केंद्र की सत्ताधारी पार्टी संसद के दोनों सदनों में अपनी सत्ता गवा चुकी है। इसलिए इस चुनाव में ‘तीसरा पक्ष’ अहम हो गया है।
कौन है तीसरा पक्ष?
तीसरा पक्ष कौन है? वो जो एनडीए या इंडिया के साथ किसी गठबंधन में नहीं है। फिलहाल तीन बड़ी पार्टियां हैं। इनमें आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) और ओडिशा की BJD शामिल हैं। इनमें से वाईएसआर कांग्रेस ने NDA को समर्थन देने के संकेत दिए हैं। एक बार फिर भारत राष्ट्र समिति है। ऐसे में एनडीए और भारत दोनों गठबंधनों की नज़र ओडिशा की पूर्व सत्ताधारी पार्टी बीजेडी पर है। सूत्रों के मुताबिक पिछले दो दिनों में पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को दो बड़े राष्ट्रीय नेताओं के फोन आए हैं। एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। दूसरे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।
अहम भूमिका में नवीन पटनायक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बीजद प्रमुख तथा ओडिशा के पूर्वा CM नवीन पटनायक को फोन किया। उन्होंने उनकी सेहत के बारे में जानकारी ली। उन्होंने पटनायक को दिल्ली में एक बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इससे राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि प्रधानमंत्री उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद का समर्थन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। 24 घंटे के भीतर ही कांग्रेस ने भी बीजद प्रमुख से संपर्क किया है ।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद पटनायक को फोन किया। दरअसल इस समय ओडिशा में नवीन का मुकाबला सीधे भाजपा से है। इसलिए भले ही वह अब तक राष्ट्रीय मुद्दों पर भाजपा के साथ रहे हों लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजद और भाजपा एक दूसरे के खिलाफ है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि बीजद भाजपा के होगी । कांग्रेस भी इस मौके का फायदा उठाकर उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है।
आसान नहीं है NDA की जीत
हालांकि बीजद का लोकसभा में कोई सांसद नहीं है लेकिन राज्यसभा में उसके 6 सांसद हैं। इसलिए उपराष्ट्रपति चुनाव में उनका समर्थन महत्वपूर्ण है। दरअसल इस बार इंडिया गठबंधन पिछली बार से कहीं ज्यादा मजबूत और एकजुट है। पिछली बार कांग्रेस के पास लोकसभा में 54 सीटें थीं। इस बार यह लगभग दोगुनी हो गई हैं। फिर तृणमूल हो या डीएमके, समाजवादी पार्टी, उनकी ताकत भी काफी बढ़ गई है।
जगदीप धनखड़ जब चुने गए थे तब अकेले भाजपा के पास लोकसभा में 302 सांसद थे। फिर सहयोगियों का समर्थन भी था। राज्यसभा में भी एनडीए काफी आगे था। इस बार भाजपा के पास 235 सांसद हैं। नतीजतन उसे नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान पर निर्भर रहना पड़ रहा है। उसे छोटे सहयोगियों से भी समर्थन लेना पड़ रहा है। इस लड़ाई में नवीन पटनायक अहम हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक किसी खेमेबाज़ी का वादा नहीं किया है। उनकी पार्टी का कहना है कि सही समय पर फ़ैसला लिया जाएगा।

