न सड़क है, न बिजली, न सफाई…ग्रामीणों के लिए सरकारी दावे बन गए सिर्फ जुमले, बहेलिया गांव में विकास के दावे खोखले

Aanchal Singh
बहेलिया
बहेलिया

Prime Chaupal: मलिहाबाद के बहेलिया गांव में विकास के नाम पर किए गए सरकारी दावों की असलियत कुछ और ही है। यहां जो अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों में पानी भरने का वादा किया गया था, वहां आज कचरे का ढेर लगा हुआ है। सड़कें जो विकास की राह पर अग्रसर होने का प्रतीक बताई जाती हैं, उन पर बजबजाती नालियां हैं। इस गांव में मीटर तो लगे हुए हैं, लेकिन बिजली का नामोनिशान नहीं है। ऐसे में जिम्मेदारों को शर्म तक नहीं आती, क्योंकि जो योजनाएं उन्हें लागू करनी चाहिए थी, वह फेल होती दिखाई दे रही हैं। यह सब कुछ मलिहाबाद के बहेलिया की स्थिति को बयां करता है, जहां विकास की चिड़िया तो फड़फड़ा रही है, लेकिन सरकारी दावे पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं।

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सरकारी योजनाओं का निरीक्षण

सरकारी योजनाओं का निरीक्षण

ग्रामीण मिलन केंद्र का हाल भी इससे अलग नहीं है। इस केंद्र की दीवारें कुछ ही सालों में जर्जर हो चुकी हैं। यहां की छत पर भ्रष्टाचार की काई लगी हुई है, जो यह बताती है कि कैसे सरकारी नुमाइंदों ने ग्रामीणों को ठगने का काम किया है। इस केंद्र का उद्देश्य ग्रामीणों के कल्याण के लिए होना चाहिए था, लेकिन यह अब एक भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है। जहां एक ओर सरकारी योजनाओं का दावा किया जाता है, वहीं दूसरी ओर इन योजनाओं के भ्रष्ट कार्यान्वयन की पोल खुद यहां की स्थिति खोलती है।

सरकारी योजनाओं के दावों की खुली पोल-पट्टी

सरकारी योजनाओं के दावों की खुली पोल-पट्टी

प्राइम टीवी की टीम जब मलिहाबाद के इस गांव में विकास का मुआयना करने पहुंची, तो जो तस्वीरें सामने आईं, वे सरकारी योजनाओं की असलियत बयां करने के लिए काफी थीं। इस गांव में ना तो अच्छी सड़कें हैं, ना सफाई की व्यवस्था है, ना पक्के आवास हैं और न ही बिजली की व्यवस्था। सबसे बड़ी और अहम बात तो यह है कि यहां के ग्रामीणों के पास शौचालय भी नहीं हैं। जबकि सरकार शौचालय निर्माण की बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर यह पूरी तरह से विफल साबित हुआ है।

कूड़ा प्रबंधन के नाम पर लकड़ी का प्रबंधन

कूड़ा प्रबंधन के नाम पर लकड़ी का प्रबंधन

विकास का दावा करने वाली सरकार ने यहां कूड़ा अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र भी बनवाया था, लेकिन केंद्र में कचरे का निपटान करने की बजाय लकड़ियों का प्रबंधन किया जा रहा है। जिस कूड़े के प्रबंधन के लिए यह केंद्र स्थापित किया गया था, वह कचरा अब सूखे तालाबों, बजबजाती नालियों और गांव की सड़कों पर बिखरा पड़ा है। यह स्थिति इस बात का सबूत है कि जिम्मेदार नुमाइंदों को न तो इंसानों की परवाह है और न ही बेजुबानों की। उनके लिए तो यह सिर्फ एक दिखावा बन कर रह गया है।

सरकारी योजनाओं पर गांववालों ने उठाए सवाल

सरकारी योजनाओं पर गांववालों ने उठाए सवाल

गांववासियों का कहना है कि सरकार के दावे और असलियत में बड़ा अंतर है। सरकार जो योजनाएं चला रही है, उनका फायदा लोगों तक पहुंचने के बजाय यह योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित हो कर रह गई हैं। ग्रामीणों की मांग है कि यदि सरकार वाकई में उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है, तो उसे इन योजनाओं को सही तरीके से लागू करने की जरूरत है। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे गांववासी न सिर्फ नाराज हैं, बल्कि उनकी आशाएं भी टूट चुकी हैं।

सरकार के दावों का जमीनी हकीकत से कोई मेल नहीं

सरकार के दावों का जमीनी हकीकत से कोई मेल नहीं

मलिहाबाद के बहेलिया गांव की इस स्थिति ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी योजनाओं के दावे और जमीनी हकीकत में भारी अंतर है। जहां एक ओर विकास की चिड़ीया की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर यह चिड़ीया उलझ कर सिर्फ भ्रष्टाचार की चक्की में पिस रही है। अब समय आ गया है कि जिम्मेदार अधिकारी इन मुद्दों को गंभीरता से लें और गांववासियों को वास्तविक विकास का अनुभव कराएं।

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