Bhai Dooj 2025: रक्षाबंधन और भाई दूज में ये है बड़ा अंतर, जानिए इन दो पावन पर्वों की परंपरा

अक्सर लोग यह सोचते हैं कि रक्षाबंधन और भाई दूज में क्या फर्क है, क्योंकि दोनों त्योहार भाई-बहन के प्रेम और पवित्र संबंध का प्रतीक हैं। तो फिर ये दोनों पर्व एक जैसे होते हुए भी अलग-अलग क्यों मनाए जाते हैं? आइए जानते हैं...

Aanchal Singh
Bhai Dooj 2025
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Bhai Dooj 2025: दीपावली के ठीक बाद भाई दूज (Bhai Dooj ) का मनाया जाता है. ये भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला त्योहार है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करती हैं, जबकि भाई उन्हें उपहार देकर अपने प्यार का प्रतीक प्रस्तुत करते हैं. हालांकि, यह पर्व रक्षाबंधन जैसा प्रतीत होता है, परंतु दोनों के बीच कई सांस्कृतिक और परंपरागत अंतर हैं.

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भाई दूज और रक्षाबंधन में नाम और परंपराओं का अंतर

Bhai Dooj 2025
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आपको बता दे कि, रक्षाबंधन को संस्कृत में ‘रक्षिका’ या ‘रक्षा सूत्र बंधन’ कहा जाता है, जबकि भाई दूज (Bhai Dooj ) को ‘भागिनी हस्ता भोजना’ के नाम से जाना जाता है. रक्षाबंधन में बहन भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, वहीं भाई दूज पर बहन भाई को घर बुलाकर तिलक करती है और प्रेमपूर्वक भोजन कराती है.

कौन किसे बुलाता है? जानिए रिवाज में अंतर

बताते चले कि, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) पर भाई अपनी बहन को आमंत्रित करता है, राखी बंधवाता है और उसे उपहार देता है. इसके विपरीत भाई दूज (Bhai Dooj ) पर बहन अपने भाई को आमंत्रित करती है, तिलक लगाकर आरती उतारती है और अपने हाथों से भोजन कर स्नेह प्रकट करती है.

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रक्षा सूत्र बनाम स्नेह भोजना

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रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) एक प्राचीन परंपरा है, जो मौली या कलावा बांधने से जुड़ी है. भाई दूज इससे स्वतंत्र पर्व है, जिसकी जड़ें यमराज और यमुना के पौराणिक प्रसंग से जुड़ी हैं। इसी कारण इसे ‘यम द्वितीया’ भी कहा जाता है.

पौराणिक कथाएं भी अलग

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) की कथा राजा बली, इंद्र और श्रीकृष्ण जैसे चरित्रों से जुड़ी है, जबकि भाई दूज की मान्यता यमराज और उनकी बहन यमुना के प्रेम से जुड़ी है. भाई दूज पर यम-यमुना की पूजा की परंपरा भी निभाई जाती है, जो रक्षा बंधन में नहीं होती.

रिवाजों में स्वाद का फर्क

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रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के अवसर पर प्रायः मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है. वहीं भाई दूज पर बहन भाई को संपूर्ण भोजन कराती है और अंत में पान भेंट करती है। ऐसा माना जाता है कि पान देने से बहन का सौभाग्य बना रहता है. इस दिन यदि भाई-बहन यमुना नदी में एक साथ स्नान करें तो ऐसी मान्यता है कि यमराज उन्हें अपने लोक की यातनाओं से मुक्ति देते हैं। यह विशेष परंपरा भाई दूज को धार्मिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाती है।

अलग-अलग राज्यों में भाई दूज के अलग नाम

भारत के विभिन्न हिस्सों में भाई दूज को अलग नामों से जाना जाता है। गुजरात में इसे ‘भाई बीज’, बंगाल में ‘भाई फोटा’, महाराष्ट्र में ‘भाऊ बीज’, कर्नाटक में ‘सौदर बिदिगे’, मिथिला क्षेत्र में ‘यम द्वितीया’ और नेपाल में ‘भाई टीका’ कहा जाता है। हर क्षेत्र में इसके मनाने की विधि थोड़ी अलग, लेकिन भावना एक जैसी होती है। भाई दूज और रक्षाबंधन, दोनों ही भाई-बहन के रिश्ते को सम्मान, प्रेम और समर्पण से जोड़ते हैं। हालांकि परंपराएं अलग हैं, पर उद्देश्य एक ही है — भाई-बहन का अटूट बंधन।

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