Humayun Kabir: तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने अपने पहले के विवादास्पद बयान से यू-टर्न ले लिया है। मुर्शिदाबाद के भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर ने साफ कर दिया है कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा से इस्तीफा नहीं देंगे। इससे पहले, उन्होंने बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक नई मस्जिद की नींव रखने के बाद अपनी विधानसभा सदस्यता छोड़ने का ऐलान किया था। हालांकि, मस्जिद शिलान्यास के महज दो दिन बाद ही, उन्होंने अचानक अपना यह कड़ा फैसला बदल दिया है। विधायक हुमायूं कबीर के इस बदले रुख ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी है।
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विधायक ने अपने बदले हुए रुख का बताया कारण
अपने इस्तीफे के फैसले को वापस लेने को सही ठहराते हुए विधायक हुमायूं कबीर ने इसके पीछे अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की अपील को कारण बताया है। हुमायूं कबीर के मुताबिक, क्षेत्र के लोगों ने उनसे इस्तीफा न देने का आग्रह किया है। विधायक ने कहा कि जनता ने ही उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है और वे नहीं चाहते कि वह बीच में ही अपना पद छोड़ें। हुमायूं कबीर ने कहा कि वह इसी जनभावना और लोकाग्रह का सम्मान करते हुए इस्तीफे का फैसला वापस ले रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले कबीर ने 17 दिसंबर को विधायक पद से इस्तीफा देने और 22 दिसंबर को अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी।
निलंबित विधायक की आजे की राह
हुमायूं कबीर द्वारा अपना फैसला बदले जाने के बावजूद, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने विधानसभा के भीतर उनसे और अधिक दूरी बनाने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार, टीएमसी लेजिस्लेटिव पार्टी अब कबीर की सीट को बीजेपी बेंच के करीब शिफ्ट करने पर विचार कर रही है, ताकि सत्ताधारी दल उनसे अपनी स्पष्ट दूरी बनाए रख सके। विधायक होने से पहले कबीर पूर्व मंत्री थे, इसलिए उन्हें पहले ट्रेजरी बेंच (सत्ता पक्ष) के पास सीट दी गई थी। टीएमसी के चीफ व्हिप निर्मल घोष ने कहा कि पार्टी मौजूदा हालात पर करीब से नजर रख रही है। उन्होंने न्यूज एजेंसी को बताया कि निलंबित विधायक को असेंबली में कहां बिठाया जाएगा, इस पर अंतिम फैसला अगले कुछ दिनों में लिया जाएगा।
बाबरी मस्जिद-मॉडल पर शिलान्यास
मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच बाबरी मस्जिद-मॉडल पर एक नई मस्जिद का शिलान्यास किया गया था, जिसके बाद राज्य की सियासत गरमा गई थी। हुमायूं कबीर ने दावा किया कि इस धार्मिक कार्यक्रम को जनता का अप्रत्याशित समर्थन मिला है। इस घटनाक्रम के बीच, बंगाल विधानसभा का शीतकालीन सत्र और कार्यकाल खत्म होने से पहले संभावित अंतरिम बजट सत्र भी राजनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है। इन सत्रों में हुमायूं कबीर की भूमिका और टीएमसी का उनके प्रति रुख, खास तौर पर राजनीतिक हलकों की नजरों में रहेगा।
