युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद की आज जयंती,जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ मुख्य बातें…

Mona Jha

Swami Vivekananda News : युवाओं के प्ररेणा स्रोत,ऊर्जा के स्रोत और महान विद्वान स्वामी विवेकानंद की आज पूरे देश में जयंती मनाई जा रही है।स्वामी विवेकानंद की जयंती को देशभर में युवा दिवस के रुप में मनाया जाता है इनका जन्म आज के दिन 12 जनवरी 1863 को हुआ था। भारत के युवाओं को सबसे ज्यादा ऊर्जा स्वामी विवेकानंद के विचारों से ही मिलती है,उनके विचार आज भी बहुत प्रसांगिक और प्रसिद्ध है। स्वामी विवेकानंद के गुरु आचार्य रामकृष्ण परमहंस थे।

अपने विचारो के माध्यम से लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनने वाले स्वामी विवेकानंद का निधन 31 से अधिक बीमारियो के कारण 39 वर्ष की अल्पायु में हो गया था।उनके विचारों को पूरे देश और दुनिया में आज भी सुना जाता है।

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बचपन से ही तेजस्वी थे स्वामी विवेकानंद

हमेशा बदलाव के विचारों को लेकर जीने वाले स्वामी विवेकानंद के विचारो से लोगों की सोच और जीवन में बदलाव आता था। श्रीरामकृष्ण परमहंस इनके गुरु थे। विवेकानंद ने कम उम्र में ही संन्यास धारण कर लिया था। पश्चिमी देशों को योग और वेदांत से जोड़ने के पीछे स्वामी विवेकानंद का ही योगदान है। स्वामी विवेकानंद ने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर सनातन हिंदु धर्म को पहचान दिलाई थी। संन्यास से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था,बचपन से ही इनका झुकाव धर्म और अध्यात्म में था। स्वामी जी बचपन से ही अन्य साधरण बालकों से हटकर एक महान विद्वान बालक थे।

कहा जाता है कि,स्वामी विवेकानंद की माँ भी अध्यात्मिक थी, जिसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा और स्वामी विवेकानंद अध्यात्म की तरफ अपना कदम बढ़ाते गए। इनके दादा भी संस्कृत के महान विद्वान थे, जो 25 साल की उम्र में साधु बन गए थे। विवेकानंद बचपन में बहुत ही चंचल स्वभाव के थे लेकिन जैसे-जैसे वे बडे़ होते गए वैसे ही उनके अंदर व्यवहारिक ज्ञान और धर्म,अध्यात्म की समझ गहरी होती चली गई। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु के नाम पर रामकृष्णध मठ और रामकृष्ण वेदांत सोसाइटी की नींव भी रखी थी।

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स्वामी विवेकानंद का जीवन संघर्षो से जुड़ा था

स्वामी विवेकानंद का जीवन अनेक प्रकार की समस्याएओं और चुनौतीयों से घिरा हुआ था। स्वामी विवेकानंद कम उम्र में ही 31 से अधिक तरह की गंभीर बीमारियों से घिरे हुए थे। इसके बावजूद उन्होंने अपना जीवन सनातक हिंदु धर्म के प्रचार के लिए समर्पित कर दिया। स्वामी विवेकानंद एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे, उन्होंने अपने तमाम शिष्यों के साथ मिलकर रामकृष्ण मिशन कि शुरुआत की थी स्वामी विवेकानंद लोगों के जीवन से जुड़ी समस्याओं को लेकर एक अच्छा दृष्टिकोण रखते थे, उनके पास भारत के अतीत और वर्तमान दोनों को लेकर गहरी समझ थी। अपने मिशन को लेकर भरपूर ऊर्जा के साथ वो काम करने वाले व्यक्ति थे स्वामी विवेकानंद के अंदर भारत राष्ट्र को विश्व पटल पर स्थापित करने की चेष्ठा थी।

विवेकानंद बिना किसी तर्क के अर्थहीन आध्यात्मिक चर्चाओं पर तर्को के बिना की गई चर्चा की निंदा करते थे, विशेष रूप से उच्च जातियों के छुआछूत जैसे विचार की और स्वामी जी हमेशा स्वतंत्रता और समानता की जरुरतों पर जोर देते थे। सभी के ‘विचार और कर्म की स्वतंत्रता ही जीवन है और इसी के माध्यम से हम राष्ट्र का विकास और कल्याण कर सकते है स्वामी विवेकानंद के ऐसे महान विचार थे।

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