Maharashtra Land Scam: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार और उनकी कंपनी पर जमीन घोटाले का गंभीर आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि सरकारी स्वामित्व वाली जमीन को जाली दस्तावेजों के जरिए ट्रांसफर किया गया और करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।
1800 करोड़ की जमीन सिर्फ 300 करोड़ में बेची गई
सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला पुणे के बोपोडी इलाके की कृषि विभाग की जमीन से जुड़ा हुआ है। इस जमीन की बाजार कीमत करीब 1800 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन इसे मात्र 300 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। और तो और, जमीन की रजिस्ट्री के दौरान खरीदारों ने स्टांप ड्यूटी के तौर पर केवल 500 रुपये का भुगतान किया। दस्तावेजों के मुताबिक, सौदे को कानूनी रूप देने के लिए आवश्यक करों और प्रक्रियाओं को भी नजरअंदाज किया गया।
पुणे पुलिस ने दर्ज की FIR, कई नामचीन आरोपी
मामले के तूल पकड़ने के बाद पुणे पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। इस केस में कुल आठ लोगों के नाम शामिल हैं। आरोपियों में पुणे शहर के तहसीलदार सुयोगकुमार येवले, बिल्डर शीतल तेजवानी, दिग्विजय पाटिल (अमाडिया कंपनी के निदेशक) और अन्य छह लोग शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी और विश्वासघात जैसे गंभीर आरोपों के तहत मामला दर्ज हुआ है।एफआईआर भारतीय दंड संहिता (BNS) की कई धाराओं 201, 316(2), 316(5), 318(4), 336(3), 336(4), 338, 340(2), 6(2), 3(5) के तहत दर्ज की गई है।पुलिस के अनुसार, आरोपियों में से दो शीतल तेजवानी और दिग्विजय पाटिल पहले से ही कोरेगांव पार्क भूमि घोटाले में आरोपी हैं। उस मामले में भी 40 एकड़ महारवतन भूमि, जिसकी कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये थी, को अवैध तरीके से बेचा गया था। इसमें 5.89 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी में भी माफी दी गई थी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने दिए जांच के आदेश
मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोषी पाए जाने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति क्यों न हो। बताया जा रहा है कि इस मामले में संबंधित तहसीलदार को निलंबित भी कर दिया गया है।
राजनीतिक माहौल में बढ़ी गर्मी
इस घोटाले ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने अजित पवार और उनकी पार्टी पर “भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग” करने के आरोप लगाए हैं। वहीं, एनसीपी (अजित पवार गुट) ने कहा है कि पार्थ पवार का इस घोटाले से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है और जांच से सब कुछ साफ हो जाएगा।
बोपोडी भूमि घोटाला महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। 1800 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन को 300 करोड़ में बेचने और मात्र 500 रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाने का मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब सबकी निगाहें इस जांच पर हैं कि क्या दोषियों को सजा मिलेगी या यह मामला भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।
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